कवि हौशिला प्रसाद अन्वेषी की रचना

कल जो हुआ
सो हुआ ।
आज जो है
उसे जोड़ो।
और कहो कि
आगे रास्ता है
देश से वास्ता है ।
सब को जीना है
फटा पुराना सीना है ।
जहां कहीं दंगल है
अथवा अमंगल है ।
उससे बचाना है
शुभ शुभ गाना है ।
रात के अंधेरे को
जल्दी भगाना है ।
बढ़िया सा सूरज
हमको उगाना है ।
दिन के उजाले में
इंसानियत के पाले में ,
जीवन बिताना है
सब को जगाना है ।
दुख को हटाना है
सुख को बुलाना है
एक साथ गाना है
एक साथ गाना है ।।

.✍️. …….. अन्वेषी

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