साहित्यिक गोष्ठी में साहित्यकारों ने बांधी शमां

प्रयागराज। भारतीय संस्कृति एवं साहित्य संस्थान व अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से प्रतिष्ठानपुर के कवि काव्यश्रृंखला में देवोत्थान एकादशी, तुलसी विवाह, महाकवि जयशंकर प्रसाद तथा आचार्य विनोबा भावे जी की पुण्यतिथि के अवसर पर एक केन्द्रीय विद्यापीठ के सभाकक्ष में विशेष कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। उपस्थित विद्वजनों ने महाकवि जयशंकर प्रसाद तथा आचार्य विनोबा भावे जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
      साहित्यकार डॉ. विजयानन्द की अध्यक्षता तथा साहित्यभूषण डॉ. अरविंद कुमार के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए युवाकवि गंगा प्रसाद त्रिपाठी ‘मासूम’ ने आज के इस पावन अवसर पर सभी को बधाई देते हुए  महाकवि जयशंकर प्रसाद एवं आचार्य विनोबा भावे के जीवनवृत्त पर अपने विचार रखे।
       साहित्यकार अरविंद कुमार ने बताया कि जयशंकर प्रसाद ने हिंदी खड़ी बोली कविता को सरल, सहज बनाया, उन्होंने अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद को अपने घर में कई सप्ताह शरण भी दी थी। सभी वक्ताओं ने अपने विचार रखे तथा इन दोनों विभूतियों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
      अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार विजयानन्द ने महीयशी महादेवी वर्मा के माध्यम से महाकवि जयशंकर प्रसाद के संस्मरण सुनाए तथा आचार्य विनोबा भावे को प्रख्यात निबंधकार बताया।
      कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में आयोजित काव्यगोष्ठी में युवाकवि अभिषेक कुमार केसरवानी’ रवि ने पढ़ा- नहीं मैं हूं हवा में ही नहीं मैं हूं जमी पे ही। तेरी उल्फत की लहरों में बहूं मैं हूं वही पे ही।। डॉ० इन्दु जौनपुरी ने कहा आम के पेड़ों पर, जैसे दो तोते हों, चाहता हूं यह जीवन ऐसे ही गुजर जाए । शैलेन्द्र चौधरी ने फरमाया नहीं सरोवर बनना हमको, नदिया ही बन जाएंगे। गंगाप्रसाद त्रिपाठी’ मासूम’ ने अपनी व्यंग रचना पढ़ी आदमी अभिनेता है. आदमियत क्रेता विक्रेता है।झूठ बोलने में जो माहिर है, यार वही सबसे बड़ा नेता है ।

डॉ० अरविंद कुमार राम ने कहा – खूबसूरत शहर, खूबसूरत कॉलोनी, बड़े-बड़े बंगले, बड़े-बड़े लोग, पुष्पावती काया, रूप का संयोग । डॉ०विजयानन्द ने अपनी कविता प्रस्तुत की मकरंद बना करती कविता, जय हिंद मना करती निर्भय, वंदे मातरम हुआ करती,कविता भारत माता की जय । कार्यक्रम में चंद्रपाल शेखर, अरुण सिंह, उपेंद्र नाथ, अमरेन्द्र तिवारी, सन्नू तिवारी आदि ने भी उपस्थित होकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा कवियों के काव्य पाठ को सराहा।

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