धनाभाव व चारे के अभाव में मरणासन्न अवस्था में जा रहे गोवंशीय पशु
अधिकारियों की उपेक्षा से गौशाला को नहीं मिल रही धनराशि
गाज़ीपुर। शासनिक प्रशासनिक उपेक्षा के कारण सादात क्षेत्र के हुरमुजपुर स्थित बाबा गोरखनाथ गौशाला की स्थिति अत्यंत दयनीय होती जा रही है। इस भीषण गर्मी में गौशाला में मौजूद 28 बेसहारा ,असहाय एवं विकलांग पशु चारा के अभाव में मरणासन्न स्थिति में पहुंच रहे हैं। सरकार की उपेक्षा और विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण इस गौशाला को पिछले दो वर्ष से अनुदान की धनराशि नहीं मिल रही है ।
बताते चलें कि इन गोवंशों को प्रतिदिन चारा आदि की व्यवस्था गौशाला के प्रबंधक राजेंद्र शर्मा उर्फ लौजारी बाबा द्वारा भिक्षाटन एवं चंदा मांग कर किया जा रहा है। धनाभाव के कारण यहां के पशुओं को यथोचित चारा उपलब्ध कराना दिन प्रतिदिन मुश्किल हो रहा है। मजेदार बात यह है कि इस गौशाला को दो वर्ष पहले 21 रूपए प्रति गोवंश की दर से अनुदान दिया जा रहा था, लेकिन उसके बाद इस धनराशि को घटाकर दस रूपए प्रति गोवंश कर दिया गया। इसके बावजूद पिछले दो वर्ष से बकाया धनराशि का भुगतान इस गौशाला को नहीं किया गया है।
गौशाला प्रबंधक लौजारी बाबा ने इसकी जानकारी जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के साथ ही साथ मुख्यमंत्री को भी दी है। इसके साथ ही उन्होंने प्रति गोवंश ₹ दस की धनराशि को बढ़ाकर ₹ 80 या उससे अधिक किए जाने की मांग मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर की है। उन्होंने बताया कि ₹10 में एक गोवंश को चारा उपलब्ध कराना ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। वर्तमान में एक गोवंश को चारा उपलब्ध कराने में लगभग एक सौ रुपए का खर्च आ रहा है लेकिन प्रदेश सरकार ने सरकारी गौशालाओं को यह धनराशि ₹50 की दर से उपलब्ध करा रही है जबकि प्राइवेट गौशालाओं के साथ भेदभाव बरता जा रहा है । उनको सिर्फ ₹10 प्रति गोवंश की दर से ही धनराशि मंजूर की जा रही हैं। वहीं यह धनराशि भी पिछले दो वर्ष से नहीं दी गयी है, क्योंकि अधिकारियों द्वारा उपभोग प्रमाण पत्र एवं आवश्यक पत्रावली को संबंधित मंत्रालय को नहीं भेजी गयी है। इससे गौशाला चलाना मुश्किल हो गया है।
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