विभागीय लोगों की  मिलीभगत से चल रहा मछली तस्करी का गोरख धंधा


पीलीभीत। शारदा सागर डैम में मछली तस्करी का धंधा जोरों पर है। यह कार्य टाइगर रिजर्व मत्स्य विभाग पुलिस चौकियों की अवैध कमाई का बड़ा जरिया बन चुका है। माधोटांडा कलीनगर के मछली तस्करों का जाल टाइगर रिजर्व के महोब रेंज से लेकर नेपाल की शुक्ला फाटा से सेंचुरी तक फैला है। तस्कर शारदा सागर डैम मत्स्य विभाग और टाइगर रिजर्व के अफसरों की साठगांठ से हर महीने लाखों रुपए की मोटी कमाई में लगे हैं। इसी सांठगांठ की वजह से शारदा सागर डैम के ठेके की नीलामी नहीं की गई। मछली तस्करी के खेल में अन्य वन्य जीवों की सुरक्षा भी खतरे में है। शारदा डैम में मछली तस्करी कोई नई बात नहीं है। टाइगर रिजर्व में अफसरों की सांठगांठ से चल रहे धंधे से माधोटांडा कलीनगर तस्कर दशकों से जुड़े हैं। पीलीभीत और उत्तराखंड में शारदा सागर डैम का 70 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश तो बाकी उत्तराखंड में है। डैम से नाव के सहारे मछली शिकार करके महोव रेंज के गोपनीय रास्ते से बेची जाती है‌। सीमा पर तैनात एसएसबी ने भी अपनी निगाहें फेर रखी हैं। डैम के नीचे बसे शिकारी नदी को पार कर नेपाल की सैचुरी से भी मछली का शिकार करते हैं इसके बदले तस्कर महोव रेंज के स्टाफ को मोटी रकम देते हैं। शारदा सागर डैम के अलावा शारदा नहर और शारदा नदी में भी मछली शिकार कर तस्कर लाखों का वारा न्यारा करते हैं।

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