आजाद हिन्द फौज के सेनानी विद्याधर राय ने तोड़ा दम

मऊ(उत्तर प्रदेश),05 फरवरी 2020। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिंद फौज के जूझारू सेकेंड लेफ्टिनेंट व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्याधर राय ने कल 95 वर्ष की अवस्था में अंतिम सांस ली। वे पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्याधर राय के निधन की सूचना मिलते ही जिले में शोक की लहर दौड़ गई और उनके निवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लग गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो पुत्र अजय राय व विजय राय सहित भरा पूरा परिवार है।
उल्लेखनीय है कि अंग्रेजी दासता के दौरान आठ नवंबर 1927 को मऊ जनपद के घोसी तहसील के बेला सुल्तानपुर में जन्म लेने वाले इस सपूत ने मात्र 16 वर्ष की आयु में, ब्रितानी हुकूमत के विरुद्ध स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े।वे वर्ष 1943 में, आजाद हिंद फौज में हवलदार के पद पर नियुक्त किए गए थे। कई भाषाओं की जानकारी के चलते आजाद हिंद फौज में उनका महत्वपूर्ण स्थान रहा। मां भारती को अंग्रेजी दासता से मुक्ति दिलाने का जज्बा लिए ही उन्हें वर्मा पहुंचने का हुक्म मिला तो वे अपनी टुकड़ी के साथ सिंगापुर से थाईलैंड होते हुए वर्मा पहुंच गये। वर्मा के इस सेनानियों की टुकड़ी को रोकने के लिए ब्रिटिश सेना ने मेंडल मे नदी पर बने पुल को नष्ट कर दिया था ताकि दुश्मन वहां पहुंच ही न सके। वहां की स्थिति को समझकर विद्याधर राय ने अपनी टुकड़ी के साथ नदी पार करने का बीड़ा उठाया और काफी परेशानियों से जुझते हुए अपनी टुकड़ी के साथ नदी पार कर अंग्रेजों के कब्जे वाले क्षेत्र में जा घुसे और अपने टुकड़ी के साथ उन्होंने ब्रितानी फौज पर आक्रमण कर उसे वहां से भगाकर उस क्षेत्र पर आजाद हिन्द फौज का झंडा फहरा दिया। उनके इसी अदम्य साहसिक कारनामे के चलते उन्हें आजाद हिन्द फौज में सेकेंड लेफ्टिनेंट के ओहदे पर तैनाती दी गयी। बाद में उनकी टुकड़ी को भारत की ओर बढ़ने का हुक्म दिया गया। उस समय रसद खत्म होने के बावजूद वे अपनी टुकड़ी के संग अपने लक्ष्य की ओर
बढ़ते रहे थे। जब उनकी टीम दीमापुर पहुंची और वहां लेफ्टिनेंट सूरी और सभी 653 सैनिकों के साथ जब नदी पार कर रहे थे तभी ब्रिटिश जहाजों में भरे अंग्रेज सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी।मौके की नजाकत समझते हुए लेफ्टिनेंट ने, अंग्रेजों से बचने के लिए, सेनानियों को नदी में कूदकर जान बचाने का आदेश दिया। उस दौरान कुछ लोग नदी में डूब गये और बाकी बचे तैरते सेनानियों पर अंग्रेजी सेना ने भयंकर गोलीबारी की। उस हादसे में अधिकांश लोग मारे गये और मात्र 56 सेनानी ही बच पाये थे। उन्हीं बचे सेनानियों में विद्याधर राय भी एक रहे।
देश के लिए मर मिटने और देश को स्वाधीन देखने का विद्याधर राय का सपना आखिरकार 15 अगस्त 1947 को उस समय पूरा हुआ जब देशवासियों ने स्वतंत्र भारत में सांस ली।
राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार दोहरीघाट स्थित मुक्तिधाम पर किया गया।

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