गीत – इल्जाम हमीं पर डाल गई

गीत
” इल्जाम हमीं पर डाल गई”

दीवाना हमको कर के देखो।
वह इल्जाम हमीं पर डाल गई।।

हर काम तजा, विश्राम तजा ,
घर बार तजा ,.परिवार तजा।
सारी दुनिया को तज कर के ,
हर वक्त उसी का नाम धरा।

उसकी चंचल अनुपम छवि ,
हर पल नैनों में मेरे रहती है।
उसको देखूं , उसमें डूबूं ,
दिल की धड़कन यही कहती है।

हम जितना दूर गये उससे ,
उतना ज्यादा वह पास आई।
दीवाना हमको कर के देखो,
वह इल्जाम हमीं पर डाल गई।

उसकी मुस्कान निराली है,
जुल्फें हर पल लहराती हैं।
दे कर के अपनी एक झलक,
दिल सम्मोहित कर जाती है।

स्मृतियाँ उसकी जो संचित हैं,
उर को व्याकुल कर जाती हैं।
सब कुछ विस्मृत हो जाता है,
जब याद हमें तड़पाती है।

अब दोष न देना तुम हमको,
यदि आपा अपना हम खो बैठें।
दीवाना हमको कर के देखो,
वह इल्जाम हमीं पर डाल गई।

रचनाकार – अशोक राय वत्स
रैनी (मऊ) उत्तरप्रदेश
मो.8619668341

Views: 90

Leave a Reply