खग्रास चन्द्र ग्रहण ! आज की रात होगा शुरु

वाराणसी(उत्तर प्रदेश),27 जुलाई 2018।आज 27 जुलाई की रात में शुरू होने वाला चन्द्रग्रहण इस सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण होगा। इसकी अवधि लगभग 3 घंटे 55 मिनट की होगी।अषाढ़ शुक्लपक्ष की पूर्णिमा होने के चलते इस दिन गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस साल का पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी को लगा था जो देश में नजर नहीं आया और इस वर्ष का दूसरा चंद्र 27 जुलाई को पड़ेगा जो देश के साथ ही अन्य कई देशों में भी देखा जा सकेगा।

ज्योतिषियों के अनुसार यह पूर्ण चंद्र ग्रहण देश में सामान्य तौर पर दिखाई पड़ेगा। यह ग्रहण इस सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण होगा। इसकी अवधि 3 घंटे 55 मिनट होगी। इस चंद्रग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है क्योंकि ग्रहण के दौरान एक अवस्था में पहुंचकर चंद्रमा का रंग रक्त की तरह लाल दिखाई देने लगेगा। यह एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा धरती के अत्यंत करीब दिखाई देता है।

यह चन्द्रग्रहण आज रात्रि 23:54 बजे से शुरू होगा और 1:52 बजे मध्यकाल होगा तथा कल 28 जुलाई की भोर में 3:49 बजे समापन होगा। रात्रि एक बजे से लेकर भोर में 2:43 बजे तक खग्रास की अवस्था में रहेगा जिसमे चंद्रमा पूरी तरह से ढका रहेगा। ग्रहण 3 घंटे 55 मिनट तक रहेगा। ग्रहण लगने का सूतक नौ घंटे पहले अर्थात आज दोपहर 2:54 बजे से शुरू हो जाएगा।

खग्रास चंद्रग्रहण…

यह खग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में लग रहा है। इसलिए जिन लोगों का जन्म उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र और जन्म राशि मकर या लग्न मकर है उनके लिए ग्रहण अशुभ रहेगा। मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ फलदायी तो वृषभ, कर्क, कन्या और धनु राशि के लिए ग्रहण मध्यम फलदायी तथा मिथुन, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा।

ग्रहण काल…..

स्पर्श : रात्रि 11 बजकर 54 मिनट
सम्मिलन : रात्रि 1 बजे
मध्य : रात्रि 1 बजकर 52 मिनट
उन्मीलन : रात्रि 2 बजकर 44 मिनट
मोक्ष : रात्रि 3 बजकर 49 मिनट
ग्रहण का कुल पर्व काल : 3 घंटा 55 मिनट

सूतक कब प्रारंभ होगा…

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक आषाढ़ पूर्णिमा शुक्रवार अर्थात आज दिनांक 27 जुलाई को ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटे पहले लग जाएगा। यानी आज दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर लग जाएगा। सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है। रोगी, वृद्ध, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां सूतक के दौरान खाना-पीना कर सकती हैं। सूतक प्रारंभ होने से पहले पके हुए भोजन, पीने के पानी, दूध, दही आदि में तुलसी पत्र या कुशा डाल दें। इससे सूतक का प्रभाव इन चीजों पर नहीं होता।

ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें…
ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए और जहां तक हो सके यात्रा आरम्भ करने से बचना चाहिए।
ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं। वैसे यह ग्रहण मध्यरात्रि से लेकर तड़के के बीच होगा इसलिए धरती के अधिकांश देशों के लोग निद्रा में होते हैं। ग्रहणकाल में स्नान वर्जित है, ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।
ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए। कहा गया है कि ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि भोजन जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुश डाला गया हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान सुई, चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना श्रेयस्कर होता है।

साभार – पं. ऋषभदेव जी महाराज

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