स्वाधीनता आंदोलन में गाजीपुर का योगदान वंदनीय – डॉ. महेंद्र पांडेय, केंद्रीय मंत्री
*1942 की जनक्रांति का प्रतीक है मुहम्मदाबाद का शहीद स्तंभ – प्रो. डॉ. वी के राय
गाज़ीपुर। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्वामी सहजानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन शुक्रवार को केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री डा महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने फीता काट कर किया।
बताते चलें कि “1942 की जनक्रांति और गाजीपुर जनपद में प्रतिरोध का लोक स्वरुप” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ईश्वर शरण पीजी कालेज, प्रयागराज तथा स्वामी सहजानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रही।
अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि देश की आज़ादी में गाजीपुर के सेनानियों ने जो महान उत्सर्ग किया है उसके इतिहास को आज के नवयुवकों और विद्यार्थियों को जानना चाहिए। गाजीपुर वीरों की धरा है। इस धरा का विद्रोही तेवर आज़ादी के बाद भी कायम रहा। स्वाधीनता आंदोलन में गाजीपुर का योगदान वंदनीय और अविस्मरणीय है। इतिहास के पन्नों में इसकी महिमा जिस रूप में उजागर होनी चाहिए वह नहीं हो सका, लेकिन आज़ादी के अमृतकाल में उस भूले-बिसरे स्वाधीनता के इतिहास को खंगालकर आज की पीढ़ी तक पहुँचाने का अभूतपूर्व कार्य हुआ है। इस अवसर पर भारत छोड़ो आंदोलन के सेनानियों के परिजनों को सम्मानित भी किया गया।
संगोष्ठी में प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि 1942 की जनक्रांति में पूरी ऊर्जा, शक्ति, उत्साह के साथ भागीदारी लोक ने ही किया। इतिहासकारों को आवश्यकता है कि वे क्षेत्रीयता के आलोक में आजादी का इतिहास लेखन करें। प्रो. राम मोहन पाठक ने कहा कि गाजीपुर की भूमि में वह प्रेरक शक्ति है जो अन्याय और अनाचार के खिलाफ प्रतिरोध प्रकट करने में अग्रणी रहा है। भारत छोड़ो आंदोलन में गाजीपुर के गाँवों में लोक प्रतिरोध का स्वर सबसे प्रखर था।
विषय प्रवर्तन संगोष्ठी अध्यक्ष प्रो. आंनद शंकर सिंह ने किया। अध्यक्षता कवींद्रनाथ शर्मा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन सह-अध्यक्ष, प्राचार्य प्रो. वी के राय ने किया।अपने आभार वक्तव्य में प्रो. वी के राय ने कहा कि मुहम्मदाबाद का शहीद स्तंभ 1942 की जनक्रांति का साक्षात प्रतीक है। संचालन डॉ. प्रमोद कुमार श्रीवास्तव एवं डॉ. कृष्णानन्द चतुर्वेदी ने किया।
इसी कड़ी में संगोष्ठी के प्लेनरी सत्र में अमर उजाला के वरिष्ठ सम्पादक डॉ. अजय राय, प्रो. उबेद्दुर्रहमान, प्रो. श्रीकांत पांडेय, प्रो. राघव शरण शर्मा ने अपने सारगर्भिग विचार रखे। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. अखिलेश कुमार शर्मा ‘शास्त्री’ ने की।
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