अब प्रकाशित होंगी कैदियों की भी किताबें

गाजीपुर। अपराध से घृणा करो, अपराधी से नहीं-  महात्मा गांधी के इस अभिव्यक्ति को मूर्त रूप देते हुए उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति लखनऊ के चेयरमैन डॉक्टर उमेश शर्मा के निर्देशन में प्रांतीय सहायक सचिव/ जेल पर्यवेक्षक उ.प्र. समस्त जेल मयंक सिंह की अगुवाई में जिला कारागार में कैदियों की नकारात्मक मनोस्थिति और अवसाद जैसी समस्याओं के निराकरण हेतु कार्य योजना जेल प्रशासन के समक्ष रखी गई। इस पर जेल प्रशासन ने भी अपनी सहमति दी।
      जेल में बंद कैदियों की मनोदशा सुधारने के लिए उनकी कहानियों, अनुभवों व संस्मरणों को किताब की शक्ल में प्रकाशित करने के लिए कार्य योजना तैयार की गई।
      उल्लेखनीय है कि जेल में बंद कैदियों के प्रति आम धारणा नकारात्मक ही होती है जबकि कैदियों की एक बड़ी संख्या ऐसी है जिन पर अभी अभियोग सिद्ध नहीं हो सके हैं एवं मुकदमे लंबित हैं। ऐसे निरपराध कैदियों की सामाजिक छवि को सुधारने में इनकी किताबों के प्रकाशन से मदद मिलेगी जिससे इन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लौटने में आसानी होगी।
    

  कैदियों में सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए श्रीमद्भागवत गीता की 11 प्रतियां ब्लू बक पब्लिकेशंस नई दिल्ली के प्रकाशक अजय आनंद ने जेल प्रशासन को भेंट की। श्री अजय आनंद जी ने उपरोक्त कार्य योजना को मूर्त रूप देते हुए किताबों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित करने एवं उनके प्रचार-प्रसार में अपना पूर्ण सहयोग देने का दायित्व लिया। जोन सचिव डॉ एके राय ने कहा कि समिति भविष्य में भी कैदियों के लिए कल्याणकारी योजनाओं में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाती रहेगी।  इस अवसर पर जेलर शिव कुमार यादव, डिप्टी जेलर रविंद्र यादव व कमल चंद्र तथा समिति के जिला सचिव अभिषेक सिंह उपस्थित रहे।

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