जीपीएफ और पेंशन न मिलने से परेशान महाविद्यालय कर्मचारियों ने दी आन्दोलन की चेतावनी

गाजीपुर। पीजी कालेज मलिकपूरा में प्रवक्ताओं के विगत वर्षों में हुए जीपीएफ घोटाले की आग की तपिश से महाविद्यालय के लोग काफी परेशान हैं और उन्हें अब अपने स्वयं के पैसे को प्राप्त करने के लिए विभागीय अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं और घोटाला करने वाले अधिकारी और कर्मचारी वेतन और पेंशन पा रहे हैं।
     बताते चलें कि कुछ लोगों की मिलीभगत से घोटाला कर महाविद्यालय के कार्यरत कई अध्यापकों के जीपीएफ खाते से अवैध निकासी कर ली गयी। 
घटना की जानकारी होते ही महाविद्यालय में हड़कम्प मच गया। पीड़ित प्राध्यापकों ने अपने जीपीएफ खाते से हुई धननिकासी पर तत्काल प्रभाव से कारर्वाई की मांग उच्चाधिकारियों से करते हुए अपने धन की वसूली के लिए गुहार लगाई। कारर्वाई जारी है कहकर विभागीय अधिकारी अपना पल्लू झाड़ लेते हैं।
      अब आलम यह है कि जिन शिक्षकों और कर्मचारियों के जीपीएफ फंड से अवैध निकासी हुई वह अपनी पुत्री की शादी के लिये भी जीपीएफ नहीं पा रहे है। इतना ही बल्कि इससे बड़ी कयामत तो उन कर्मचारियों पर टूटी है जिनके जीपीएफ फण्ड से अवैध निकासी भी नहीं हुई थी। ऐसे लोग वह अवकाश प्राप्ति के बाद भी न तो फण्ड पा रहे है और न ही पेंशन।
       अपने ही धन को न पाने से परेशान लोगों ने हार कर महाविद्यालय शिक्षक संग के बैनर तले, पच्चीस फरवरी को उच्च शिक्षा निदेशक कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर अपने धन के लिए आवाज बुलंद की। मौके पर उपस्थित ज्वाइंट डायरेक्टर ने मामले के शीघ्र निस्तारण का आश्वासन दिया।
      उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय का प्रबन्ध तंत्र भंग है और जिलाधिकारी गाजीपुर को प्रशासक नियुक्त किया गया है। जिलाधिकारी के प्रशासक होने के बावजूद यहां के शिक्षक कर्मचारी अपने ही धन को पाने में असमर्थ हैं। पीड़ितों ने जिलाधिकारी का ध्यान इस प्रकरण पर आकर्शित करते हुए उनसे हस्तक्षेप की मांग की है ताकि उन्हें उनका धन मिल सके।
      इस सम्बन्ध में प्राचार्य डा.एस.के.सिंह का कहना है कि निरपराध लोगों के धन को अवरोधित करने से उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा विभाग ने इस प्रकरण पर शीघ्र कारर्वाई का आश्वासन दिया है। यदि एक सप्ताह में कारर्वाई नहीं की गयी तो महाविद्यालय शिक्षक संघ फुफुक्ता के साथ मिलकर बड़े आन्दोलन की रुपरेखा तय कर अनिश्चित कालीन धरना आयोजित करेगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

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