पैतृक गांव में ससमारोह मना दंडी स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्मदिवस

गाजीपुर। देश में किसान आंदोलन के प्रणेता दंडी स्वामी सहजानंद सरस्वती का 133 वां जन्मदिवस मंगलवार को उनके पैतृक गांव देवा में ससमारोह मनाया गया। कार्यक्रम में पधारे उनके अनुयायियों ने उनके जीवन पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालते हुए देश हित में उनके योगदान को अद्वितीय बताया। 
    कार्यक्रम  का शुभारंभ वाराणसी राजगुरु मठ से पधारे दंडी स्वामी अनंतानंद सरस्वती व संजय राय शेरपुरिया ने उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए वस्त्र पहना कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया।
      गुजरात से पधारे आचार्य महामंडलेश्वर जानकीदस की अध्यक्षता में संचालित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय राय शेरपुरिया रहे।
    मुख्य अतिथि संजय राय शेरपुरिया ने  स्वामी जी के ऊपर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसानों को सम्मान देना एक सौभाग्य की बात है। जो किसान लोगों को रोटी देता है वही भगवान है। उन्होंने बताया कि किसानों की अर्थव्यवस्था के मामले में देश 661 वें स्थान पर है। आर्थिक दृष्टि से प्रदेश में 71 वें स्थान पर आता है। देश में 82% लोग अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर सरकारी नौकरी ढूंढने में व्यस्त हैं। जनपद में 376 कॉलेज तो हैं लेकिन एक भी यूनिवर्सिटी नहीं है ।प्रतिवर्ष जनपद के  किसानों की आय मात्र ₹30000 है जबकि गुजरात में प्रति वर्ष किसानों की आय 31हजार है। स्वामी जी का सपना था कि किसानों को आगे बढ़ाना है। लेकिन वर्तमान में किसानों की दुर्दशा हो रही है, उनकी स्थिति दयनीय है। शिक्षित बनकर आधुनिक खेती कर ही किसान नई जनरेशन बना सकतै हैं। 
      दंडी स्वामी अनंतानंद सरस्वती ने बताया कि यह एक संयोग ही था कि भारत की भूमि के देवा गांव में जन्मे स्वामी जी का जन्म भी महाशिवरात्रि के दिन हुआ था और शादी भी महाशिवरात्रि के दिन ही हुआ था। हमारे लोग किसानों  को तिरस्कार की दृष्टि से देखते थे। जो किसान है वही गृहस्थ संत है ।जो आपके देश का नेतृत्व है जो आपके देश का प्राण है उसे कह दिया कि वह जीर्ण शीर्ण रहने वाला है।  भारत देश जहां संत का तात्पर्य संपूर्ण सत्ता संप्रभु से युक्त व्यक्तित्व है। किसान ही गृहस्थ संत है। उस समय स्वामी जी ने देखा कि भारत के जनमानस में भय व्याप्त  हो गया है अपने आवाज को रख ही नहीं पा रहा है। स्वामी जी के जीवन में किसान आंदोलन कैसे प्रविष्ट कर गया। इसे पढ़ना होगा। स्वामी जी ने किसानों को जगाया,आज हमारे देश के ग्रंथों को हम लोगों को पढ़ने की फुर्सत नहीं है। लेकिन विदेश में उसे पढ़कर शोध हो रहा है। स्वामी जी ने  किसानों को जगाया जब किसान जागेगा तो जनमानस जगेगा।  वक्ताओं ने स्वामी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1857 के बाद देश में स्वामी जी ऐसे महापुरुष का अभ्युदय हुआ था जिन्होंने नेहरू को गीता का ज्ञान व सुभाष चंद्र बोस को मार्गदर्शन दिया। उनका कर्म क्षेत्र सेमरी और बिहार के पटना जिला स्थित बिहटा गांव में रहा। वहां स्वामी जी आज भी जन-जन में बसे हैं। देश में  स्वतंत्रता की लड़ाई से स्वामी जी ने किसानों को जोड़ा। वक्ताओं ने बताया कि देवा गांव किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है यह पुण्य भूमि है। कोरोना काल के चलते 2 वर्षों से उनके जन्मोत्सव एवं पुण्यतिथि का कार्यक्रम काफी सादगी के साथ हो रहा है। लेकिन आगामी 26 जून को निर्वाण दिवस पर उन्होंने लोगों से उनके जन्म भूमि पर आने का आह्वान किया।
       प्रधान संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय ने उनके जीवन के ऊपर प्रकाश डालते हुए कहा कि बचपन में ही गृहस्थ  जीवन में उनका मन नहीं लगा। बचपन में वे मिट्टी का तिलक लगाकर पीपल के पेड़ के नीचे बैठ जाते थे। घर वालों ने उनकी यह दशा देखकर उन्हें पड़ोस गांव के  खाकी बाबा के पास ले गये। जब खाकी बाबा ने बालक नौरंग को समझाना शुरु किया तब उन्होने खाकी बाबा से यह पूछा कि मैं कब तक जिंदा रहूंगा तो बालक की मनो स्थिति देखकर खाकी बाबा ने उनके परिवार से उनको आजाद करने के लिए कहा।
      इष्टदेव राय ने उनके महत्व को बताते हुए कहा कि पूर्व के शासन में वाराणसी के रथ यात्रा चौराहे पर स्वामी जी के मूर्ति लगाने को लेकर नगर आयुक्त लालजी राय से आश्वासन मिला था लेकिन अब तक मूर्ति नहीं लगाई जा सकी जिसे उन्होंने सरकार से मूर्ति लगवाने का आवाहन किया। विशेश्वर राय ने  स्वामी जी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वामी जी ने देश की आजादी में किसानों को जोड़कर एक नई दिशा दी। इससे आजादी की लड़ाई में एक नया मोड़ आ गया। आज स्वामी जी की यादों को संरक्षित करने की जरूरत है इसके लिए एक नया संगठन बनना चाहिए।
      भारतीय सब्जी अनुसंधान वाराणसी के प्रमुख वैज्ञानिक डा राजेश राय ने बताया कि नई दिल्ली स्थित  सब्जी अनुसंधान केंद्र में स्वामी जी के नाम पर एक पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इसका लोगों ने ताली बजाकर स्वागत किया। । इस मौके पर शारदानंद राय ,दीपक चौरसिया ,डॉ राजेश राय,  शिवमुनि राय, संजीव चौरसिया ,राजेंद्र प्रताप राय, शैलेंद्र प्रताप राय सहित क्षेत्र के अनेक लोग उपस्थित थे।संचालन वीरभद्र राय ने किया। रिपोर्ट -संजय चौबे

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