मन की बात ! प्रधानमंत्री ने कोरोना के खिलाफ जंग में जनता के सहयोग के लिए किया नमन

नयी दिल्ली, 26 अप्रैल 2020। आज रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने की जंग ‘जन-प्रेरित’ है। लोग एक दूसरे की मदद करने के लिए आगे जा रहे हैं, और यह लड़ाई हम सब मिलकर देश की जनता के नेतृत्व में लड़ रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ भारत में जारी जंग पूरी तरह से जनता द्वारा जनता के नेतृत्व में लड़ी जा रही है और जन जन इस लड़ाई में सिपाही बनकर इसका नेतृत्व कर रहा है।
उन्होंने कहा कि जब कभी भविष्य में इस महामारी का इतिहास लिखा जायेगा तो कोरोना के खिलाफ भारत की जंग को जनता के नेतृत्व में लड़ी गयी लड़ाई के रूप में याद किया जायेगा। कहा कि इस बीमारी ने विभिन्न क्षेत्रों में समाज की सोच को भी बदला है। मोदी ने कहा कि भले ही कारोबार हो, कार्यालय की संस्कृति हो, शिक्षा हो या चिकित्सा क्षेत्र हो, हर कोई कोरोना वायरस महामारी के बाद की दुनिया में बदलावों के अनुरूप खुद को ढाल रहा है।
उन्होंने कहा – शहर हो या गाँव, ऐसा लग रहा है, जैसे देश में एक बहुत बड़ा महायज्ञ चल रहा है, जिसमें, हर कोई अपना योगदान देने के लिये आतुर है ।” ताली, थाली, दीया, मोमबत्ती, इन सारी चीज़ों ने जो भावनाओं को जन्म दिया | जिस ज़ज्बे से देशवासियों ने, कुछ-न-कुछ करने की ठान ली – हर किसी को इन बातों ने प्रेरित किया है | ग़रीबों के लिए खाने से लेकर, राशन की व्यवस्था हो, लाकडाउन का पालन हो, अस्पतालों की व्यवस्था हो, चिकित्सकीय सामान का देश में ही निर्माण हो – आज पूरा देश, एक लक्ष्य, एक दिशा, साथ-साथ चल रहा है |”
साथियो, भारत की कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई सही मायने में पीपुल ड्राइवेन है । भारत में कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई जनता लड़ रही है, आप लड़ रहे हैं, जनता के साथ मिलकर शासन, प्रशासन लड़ रहा है ।”
“साथियो, हर मुश्किल हालात, हर लड़ाई, कुछ-न-कुछ सबक देती है, कुछ-न-कुछ सिखा करके जाती है, सीख देती है । कुछ संभावनाओं के मार्ग बनाती है और कुछ नई मंजिलों की दिशा भी देती है।”
हमारे बिजनेस, हमारे दफ्तर, हमारे शिक्षण संस्थान, हमारा मेडिकल सेक्टर, हर कोई, तेज़ी से, नये तकनीकी बदलावों की तरफ भी बढ़ रहें हैं। साथियो, देश जब एक टीम बन करके काम करता है, तब क्या कुछ होता है – ये हम अनुभव कर रहें हैं । आज केन्द्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, इनका हर एक विभाग और संस्थान राहत के लिए मिल-जुल करके पूरी स्पीड से काम कर रहे हैं ।”
“आप में से शायद बहुत लोगों को मालूम होगा कि देश के हर हिस्से में दवाईयों को पहुँचाने के लिए लाइफ-लाइन उड़ान नाम से एक विशेष अभियान चल रहा है। हमारे इन साथियों ने, इतने कम समय में, देश के भीतर ही, तीन लाख किलोमीटर की हवाई उड़ान भरी है और 500 टन से अधिक मेडिकल सामग्री, देश के कोने-कोने में आप तक पहुँचाया है।” इसी तरह, रेलवे के साथी, लाकडाउन में भी लगातार मेहनत कर रहें हैं, ताकि देश के आम लोगों को, जरुरी वस्तुओं की कमी न हो।इस काम के लिए भारतीय रेलवे करीब-करीब 60 से अधिक रेल मार्ग पर 100 से भी ज्यादा पार्सल ट्रेन चल रही है। इसी तरह दवाओं की आपूर्ति में, हमारे डाक विभाग के लोग, बहुत अहम भूमिका निभा रहें हैं। हमारे ये सभी साथी, सच्चे अर्थ में, कोरोना के warrior ही हैं। “इन सब कामों में, सरकार के अलग-अलग विभागों के लोग, बैंकिंग सेक्टर के लोग, एक टीम की तरह दिन-रात काम कर रहे हैं |” साथियो, ‘प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज़’ के तहत, ग़रीबों के एकाउंट में पैसे, सीधे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। ‘वृद्धावस्था पेंशन’ जारी की गई है। गरीबों को तीन महीने के मुफ़्त गैस सिलेंडर, राशन जैसी सुविधायें भी दी जा रही हैं। स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारें जो जिम्मेदारी निभा रही हैं, उसकी, कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका है। उनका ये परिश्रम बहुत प्रशंसनीय है। मैं, हमारे देश की राज्य सरकारों की भी इस बात के लिए प्रशंसा करूँगा कि वो इस महामारी से निपटने में बहुत सक्रिय भूमिका निभा रही हैं |”
“हमारे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ,कम्युनिटी हेल्थ वर्कर और ऐसे सभी लोग, जो देश को ‘कोरोना-मुक्त’ बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं,उनकी रक्षा करने के लिए ये कदम बहुत ज़रुरी था।”
“मेरे प्यारे देशवासियो, देशभर से स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों ने, अभी हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है, उस पर अपना संतोष व्यक्त किया है।” “मेरे प्यारे देशवासियों, हम सब अनुभव कर रहे हैं कि महामारी के खिलाफ़, इस लड़ाई के दौरान हमें अपने जीवन को, समाज को, हमारे आप-पास हो रही घटनाओं को, एक fresh नज़रिए से देखने का अवसर भी मिला है |” हमारे घरों में काम करने वाले लोग हों, हमारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काम करने वाले हमारे सामान्य कामगार हों, पड़ोस की दुकानों में काम करने वाले लोग हों, इन सबकी कितनी बड़ी भूमिका है – हमें यह अनुभव हो रहा है |”
इसी तरह, ज़रुरी सेवाओं की डिलीवरी करने वाले लोग, मंडियों में काम करने वाले हमारे मज़दूर भाई-बहन, हमारे आस-पड़ोस के ऑटो-चालक, रिक्शा-चालक – आज हम अनुभव कर रहे हैं कि इन सब के बिना हमारा जीवन कितना मुश्किल हो सकता है।” हमारे पुलिसकर्मी आज ग़रीबों, ज़रुरतमंदो को खाना पंहुचा रहे हैं, दवा पंहुचा रहे हैं। जिस तरह से हर मदद के लिए पुलिस सामने आ रही है इससे पुलिसिंग का मानवीय और संवेदनशील पक्ष हमारे सामने उभरकर आया है, हमारे मन को झकझोर दिया है, हमारे दिल को छू लिया है।” “लेकिन ‘जो मेरा नहीं है’, ‘जिस पर मेरा हक़ नहीं है’ उसे मैं दूसरे से छीन लेता हूँ, उसे छीनकर उपयोग में लाता हूँ तब हम इसे ‘विकृति’ कह सकते हैं।” –
“जब कोई अपने हक़ की चीज़, अपनी मेहनत से कमाई चीज़, अपने लिए ज़रूरी चीज़, कम हो या अधिक, इसकी परवाह किये बिना, किसी व्यक्ति की ज़रूरत को देखते हुए, खुद की चिंता छोड़कर, अपने हक़ के हिस्से को बाँट करके किसी दूसरे की ज़रुरत पूरी करता है –
वही तो ‘संस्कृति’ है” अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की युवा-पीढ़ी को, अब इस चुनौती को स्वीकार करना होगा। जैसे, विश्व ने योग को सहर्ष स्वीकार किया है, वैसे ही, हजारों वर्षों पुराने, हमारे आयुर्वेद के सिद्दांतों को भी विश्व अवश्य स्वीकार करेगा।”
“आप देखियेगा, मास्क, अब सभ्य-समाज का प्रतीक बन जायेगा। अगर, बीमारी से खुद को बचना है, और, दूसरों को भी बचाना है, तो, आपको मास्क लगाना पड़ेगा, और, मेरा तो सिम्पल सुझाव रहता है – गमछा, मुहँ ढ़कना है। ”
कोरोना की वजह से, बदलते हुए हालत में, मास्क भी, हमारे जीवन का हिस्सा बन रहा है। वैसे, हमें इसकी भी आदत कभी नहीं रही कि हमारे आस-पास के बहुत सारे लोग मास्क में दिखें, लेकिन, अब हो यही रहा है। हाँ! इसका ये मतलब नहीं है, जो मास्क लगाते हैं वे सभी बीमार हैं ”
उन्होंने कहा कि आज के कठिन समय में यह एक ऐसा दिन है जो हमें याद दिलाता है कि हमारी आत्मा, हमारी भावना, ‘अक्षय’ है” –
“यह दिन हमें याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ रास्ता रोकें, चाहे कितनी भी आपदाएं आएं, चाहे कितनी भी बीमारियोँ का सामना करना पड़े – इनसे लड़ने और जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय है। ”
मेरे प्यारे देशवासियो, ये सुखद संयोग ही है, कि, आज जब आपसे मैं ‘मन की बात’ कर रहा हूँ तो अक्षय-तृतीया का पवित्र पर्व भी है। साथियो, ‘क्षय’ का अर्थ होता है विनाश लेकिन जो कभी नष्ट नहीं हो, जो कभी समाप्त नहीं हो वो ‘अक्षय’ है।” -” माना जाता है कि यही वो दिन है जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण और भगवान सूर्यदेव के आशीर्वाद से पांडवों को अक्षय-पात्र मिला था।
अक्षय-पात्र यानि एक ऐसा बर्तन जिसमें भोजन कभी समाप्त नही होता है |”
हमारे अन्नदाता किसान हर परिस्थिति में देश के लिए, हम सब के लिए, इसी भावना से परिश्रम करते हैं। इन्हीं के परिश्रम से, आज हम सबके लिए, गरीबों के लिए, देश के पास अक्षय अन्न-भण्डार है |”
इस अक्षय-तृतीया पर हमें अपने पर्यावरण, जंगल, नदियाँ और पूरे इको सिस्टम के संरक्षण के बारे में भी सोचना चाहिए, जो, हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर हम ‘अक्षय’ रहना चाहते हैं तो हमें पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी धरती अक्षय रहे”
“क्या आप जानते हैं कि अक्षय-तृतीया का यह पर्व, दान की शक्ति का भी एक अवसर होता है।
हम हृदय की भावना से जो कुछ भी देते हैं, वास्तव में महत्व उसी का होता है-
यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि हम क्या देते हैं और कितना देते हैं।संकट के इस दौर में हमारा छोटा-सा प्रयास हमारे आस–पास के बहुत से लोगों के लिए बहुत बड़ा सम्बल बन सकता है
साथियो, जैन परंपरा में भी यह बहुत पवित्र दिन है क्योंकि पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जीवन का यह एक महत्वपूर्ण दिन रहा है। ऐसे में जैन समाज इसे एक पर्व के रूप में मनाता है”
साथियो, आज भगवान बसवेश्वर जी की भी जयन्ती है। ये मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे भगवान बसवेश्वर की स्मृतियाँ और उनके सन्देश से बार–बार जुड़ने का, सीखने का, अवसर मिला है | देश और दुनिया में भगवान बसवेश्वर के सभी अनुयायियों को उनकी जयन्ती पर बहुत–बहुत शुभकामनाएँ।
“साथियो, रमज़ान का भी पवित्र महीना शुरू हो चुका है | जब पिछली बार रमज़ान मनाया गया था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस बार रमज़ान में इतनी बड़ी मुसीबतों का भी सामना करना पड़ेगा. –
इस रमज़ान को संयम, सद्भावना, संवेदनशीलता और सेवा-भाव का प्रतीक बनाएं। इस बार हम, पहले से ज्यादा इबादत करें ताकि ईद आने से पहले दुनिया कोरोना से मुक्त हो जाये और हम पहले की तरह उमंग और उत्साह के साथ ईद मनायें”
मुझे विश्वास है कि रमज़ान के इन दिनों में स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ़ चल रही इस लड़ाई को हम और मज़बूत करेंगे। सड़कों पर, बाज़ारों में, मोहल्लों में, फीजिकल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन अभी बहुत आवश्यक है। अभी पिछले दिनों ही, हमारे यहाँ भी, बिहू, बैसाखी, पुथंडू, विशू, ओड़िया,नव वर्ष अनेक त्योहार आये,हमने देखा कि लोगों ने कैसे इन त्योहारों को घर में रहकर, और बड़ी सादगी के साथ और समाज के प्रति शुभचिंतन के साथ त्योहारों को मनाया”
“मेरे देशवासियों, मैं आपसे, आग्रह करूँगा – हम कतई अति-आत्मविश्वास में न फंस जाएं, हम ऐसा विचार न पाल लें कि हमारे शहर में, हमारे गाँव में, हमारी गली में, हमारे दफ़्तर में, अभी तक कोरोना पहुंचा नहीं है, इसलिए अब पहुँचने वाला नहीं है।देखिये,ऐसी ग़लती कभी मत पालना। दुनिया का अनुभव हमें बहुत कुछ कह रहा है और, हमारे यहाँ तो बार–बार कहा जाता है – ‘सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। याद रखिये, हमारे पूर्वजों ने हमें इन सारे विषयों में बहुत अच्छा मार्ग-दर्शन किया है “अर्थात, हल्के में लेकर छोड़ दी गयी आग, कर्ज़ और बीमारी, मौक़ा पाते ही दोबारा बढ़कर ख़तरनाक हो जाती हैं। इसलिए इनका पूरी तरह उपचार बहुत आवश्यक होता है।”
याद रखिये, हमारे पूर्वजों ने हमें इन सारे विषयों में बहुत अच्छा मार्ग-दर्शन किया है। हमारे पूर्वजों ने कहा है –
‘अग्नि: शेषम् ऋण: शेषम् ,
व्याधि: शेषम् तथैवच ।
पुनः पुनः प्रवर्धेत,
तस्मात् शेषम् न कारयेत ।।”
और, मैं फिर एक बार कहूँगा –
दो गज दूरी बनाए रखिये, खुद को स्वस्थ रखिये –
“दो गज दूरी, बहुत है ज़रूरी”
आप सबके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए, मैं मेरी बात को समाप्त करता हूँ | ”
“अगली ‘मन की बात’ के समय जब मिलें तब, इस वैश्विक-महामारी से कुछ मुक्ति की ख़बरें दुनिया भर से आएं, मानव-जात इन मुसीबतों से बाहर आए – इसी प्रार्थना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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