राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद !  संशोधन विधेयक को लोकसभा में मिली मंजूरी

नयी दिल्ली, 23 जुलाई 2018 । लोकसभा ने आज ‘राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक-2017’ को पारित कर दिया जिससे बीएड, डीएड, एमएड तथा कई अन्य पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर चुके उन विद्यार्थियों को राहत मिलेगी जिनके संस्थान के पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त नहीं थी। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन में कहा कि इस संशोधन विधेयक के तहत उन 20 केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है जिनके शिक्षण पाठ्यक्रम को एनसीटीई से मान्यता नहीं थी।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि यह संशोधन एक त्रुटि को सुधारने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष ष से सरकार देश में बीए-बीएड, बीकॉम-बीएड और बीएससी-बीएड के तौर पर एकीकृत पाठ्यक्रम शुरू करने जा रही है। मंत्री ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कदम उठाए गए हैं। पंडित मदनमोहन मालवीय मिशन के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए 87 संस्थानों को मान्यता प्रदान की गई है। मंत्री ने कहा कि चार साल पहले शिक्षा पर कुल खर्च 63 हजार करोड़ रुपये था जो अब 110,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ही ‘ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड’ शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा लगभग तैयार हो गया है और इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया।
इससे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि वह इस संशोधन विधेयक का स्वागत करते हैं और इस बात से खुश हैं कि इसके तहत उनके संसदीय क्षेत्र रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे एमडीयू जैसे उन कई विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत मिलेगी जिनके संस्थान के पाठ्यक्रम एनसीटीई से मान्यता प्राप्त नहीं थे। भाजपा के प्रहलाद पटेल ने कहा कि एनसीटीई एक शैक्षणिक प्राधिकरण के तौर पर स्थापित हो गया है। उन्होंने कहा कि देशभर में स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षक हैं लेकिन भौगोलिक आधार पर उनके प्रशिक्षण के लिहाज से पर्याप्त प्रशिक्षण संस्थान भी होने चाहिए। पटेल ने यह भी कहा कि जिन्होंने पढ़ाई कर ली है, उनकी डिग्री पर कोई संकट नहीं आना चाहिए। संस्थानों के पास मान्यता नहीं होने का नुकसान पढ़ाई करने वालों को नहीं होना चाहिए। अन्नाद्रमुक के उदय कुमार ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि एनसीटीई का कार्यक्षेत्र व्यापक हुआ है जिसमें प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूल तक आते हैं। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी विधेयक का समर्थन किया लेकिन कहा कि देश में शिक्षा का स्तर पर्याप्त तौर पर नहीं सुधर रहा। शिक्षा के स्तर में सुधार शिक्षकों के प्रशिक्षण से ही संभव है। बीजद के कुलमणि सामल ने कहा कि शिक्षकों का प्रशिक्षित होना जरूरी है। सरकार की चेतावनियों के बावजूद ऐसे संस्थान चल रहे हैं जिन्हें सरकार की ओर से मान्यता नहीं मिली है। शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि एनसीटीई के माध्यम से शिक्षकों को अतिरिक्त कुशलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। उन्होंने भी बिना मंजूरी के प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों की ओर सरकार का ध्यान दिलाया। राकांपा की सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार को प्रयास करना चाहिए कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़े और उसके नतीजे भी दिखें क्योंकि अब तक यही देखा गया है कि तमाम प्रयासों के बावजूद नतीजे आशा के अनुरूप नहीं रहे हैं। भाजपा के वीरेंद्र कश्यप ने निजी संस्थानों में शिक्षकों के शोषण का मुद्दा उठाया और कहा कि इन संस्थानों पर निगरानी होनी चाहिए। शिरोमणि अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए व्यापक अध्ययन के मकसद से सरकार को समिति बनानी चाहिए। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने बिहार में शिक्षा की स्थिति का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ग्रामीण शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।

Visits: 63

Leave a Reply