कवि गोष्ठी के साथ सम्पन्न हुआ हिन्दी दिवस
“दस की जगह बीस रुपए लीजिए, एक की जगह दो नेताओं की, अन्त्येष्टि कीजिए।”
गाजीपुर। साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में ‘चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘हिन्दी- दिवस’ के अवसर पर वरिष्ठ कवि कामेश्वर द्विवेदी के आवास पर विचार-गोष्ठी सह कवि-गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने हिन्दी की महत्ता, गुणवत्ता एवं संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए अपने दैनिक जीवन में व्यवहारिक रूप से प्रयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया उन्होंने स्वीकार किया कि हिन्दी का वैश्विक विस्तार इसके तकनीकी, विज्ञान, वाणिज्य एवं मीडिया के क्षेत्र में अपने भाषाई विस्तार के कारण हुआ है। हिन्दी की अधिकाधिक स्वीकार्यता का कारण शाब्दिक सामर्थ्य एवं इसकी भाषाई वैज्ञानिकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार हरिनारायण हरीश एवं संचालन नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र कवि-गोष्ठी का शुभारंभ कवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना से हुआ। तदुपरांत कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी व्यंग्य कविता ‘प्रभारी की व्यथा’ “जनगणना,बालगणना,पशुगणना, मतलब करे कोई और गिने कोई। सुनाकर प्रशंसित रहे। वहीं कवयित्री शालिनी श्रीवास्तव ‘जागृति’ ने बालिकाओं को प्रेरित करती हुई अपनी कविता – “रूप तेरा गौण है, ये सजना भी बेकार है, तू सॅंवर जा मन से, यही सच्चा श्रृंगार है। ” सुनाकर खूब वाहवाही अर्जित की। साहित्य ‘चेतना समाज के संस्थापक’, व्यंग्यधर्मी कवि अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ने नेताओं पर व्यंग्य-कविता – “दस की जगह बीस रुपए लीजिए, एक की जगह दो नेताओं की, अन्त्येष्टि कीजिए।”सुनाकर श्रोताओं को ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया। कवि विजय कुमार ‘मधुरेश’ने अपने धारदार मुक्तकों के साथ “मेरा एहसास है बहते हुए पानी की तरह, आप पत्थर की तरह बात को फेंका न करें। सुनाकर श्रोताओं से खूब तारीफ पायी।नगर के वरिष्ठ कवि, महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी ने “साक्षर हैं यदि है नहीं विवेक तो साक्षरता बेमानी है। संज्ञा है नर की पर केवल चेहरा ही इंसानी है।” सुनाया,जिसकी सभी ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की।इस संगोष्ठी का संचालन कर रहे युवा नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने ‘हिन्दी हमारी शीर्षक नवगीत – “हिन्दी हमारी आन की,ईमान की भाषा। हिन्दी हमारे देश के सम्मान की भाषा। सुनाया, जिसकी उपस्थित कवि-श्रोताओं ने भूरिशः प्रशंसा की। देश के सुख्यात मंच-संचालक,कवि हरिनारायण हरीश ने ग़ज़लों के साथ ही हिन्दी पर अपनी कविता – “हिन्दी महान है और यह हमारी पहचान है, जहाॅं-जहाॅं हिन्दी है वहाॅं-वहाॅं हिन्दुस्तान है।” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संगोष्ठी में डॉ.रविनन्दन वर्मा,सुनील द्विवेदी, शशि कुमार मिश्र, सिद्धार्थशरण श्रीवास्तव, आलोकमणि द्विवेदी,राजकमल द्विवेदी,प्रशान्त तिवारी,प्रांजल, कामिनी, प्रगति, आस्था, ब्रजविहारी राय, भगवान पाण्डेय, अवधेश दूबे आदि उपस्थित रहे।अन्त में संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने समस्त सहभागी कवि गण एवं आगंतुक श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
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