एलजी मनोज सिन्हा ने किया रेलवे अतिथि सह सभागार का लोकार्पण
वरिष्ठ साहित्यकार स्व. विवेकी राय युग प्रवर्तक साहित्यकार रहे – मनोज सिन्हा
गाजीपुर। जम्मू काश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को गाज़ीपुर सिटी रेलवे स्टेशन के पास रेलवे अधिकारियों हेत नवनिर्मित अतिथि गृह और कम्युनिटी सेंटर का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार ने रेलवे का अभूतपूर्व विकास किया है। पूर्वांचल में रेलवे के विकास की तमाम परियोजनाएं पूरी हुई हैं। मीडिया से मुखातिब मनोज सिन्हा ने आर्टिकल 370 के राजनैतिक बयानों पर कहा कि राजनैतिक मामलों में मुझे प्रतिक्रिया देने की जरूरत नही है। उन्होंने कहा कि इस पर कानून देश की सम्मानित संसद ने बनाया और शीर्ष अदालत ने जिस पर वैधानिक मुहर लगा दी है। यह ऐसी लकीर है जो कभी बदल नहीं सकती। उन्होंने कहा कि जम्मू काश्मीर के शांतिपूर्ण चुनाव से पूरी दुनिया मे संदेश गया। अब जम्मू काश्मीर में चुनी हुई सरकार है। मैं उम्मीद करता हूँ चुनी हुई सरकार जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप काम करेगी।
इसके साथ ही मनोज सिन्हा ने साहित्यकार स्व.विवेकी राय जन्मशताब्दी के तहत आयोजित कार्यक्रम में भी शिरकत की।जिला पंचायत सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मनोज सिन्हा, अध्यक्ष योगी आनंद जी, विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह व अन्य अतिथियों ने स्व.विवेकी राय के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। डॉ० विवेकी राय स्मृति न्यास की अध्यक्ष व उनकी पुत्रवधू डॉ० बिनीता राय ने मुख्य अतिथि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया। जनपद के सोनवानी गांव के मूल निवासी डॉक्टर विवेकी राय का जन्म 19 नवम्बर 1924 को उनके ननिहाल भरौली में हुआ था।
अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल ने कहा कि डॉ विवेकी राय युग प्रवर्तक साहित्यकार थे। उनकी रचनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि विवेकी राय साहित्याकाश के तारा नहीं, ध्रुव तारा हैं। हिंदी एवं भोजपुरी में की गई उनकी रचनाएं जहां एक ओर विभिन्न विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम का हिस्सा है वहीं आने वाली अनंत पीढ़ियो का मार्गदर्शन करती रहेगी। इससे पूर्व डॉ० मान्धाता राय ने कहा कि विवेकी राय जी ने सभी विधाओं में रचना की उनकी प्रकाशित पुस्तकों की संख्या 70 से अधिक है। उन्होंने कहा कि डॉ विवेकी राय अपने साहित्य में मानव मूल्यों को प्रमुखता देते थे। विशिष्ट अतिथि कुलपति डॉक्टर हरिकेश सिंह ने कहा कि हिंदी एवं भोजपुरी साहित्य के उन्नयन में विवेकी राय का योगदान अतुलनीय है। मुख्य वक्ता प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने विवेकी राय को मानवीय संवेदना को उकेरने वाले साहित्यकार की संज्ञा दी। वहीं विवेकी राय के प्रिय शिष्य डॉ० बरमेश्वर नाथ राय ने उनसे जुड़े अनेक संस्मरण सुनाए। बलिया से पधारे उनके शिष्य एवं विवेकी राय पर प्रथम बार पीएचडी करने वाले डॉक्टर जनार्दन राय ने उन्हें ऋषि की संज्ञा दी तथा उनको कालजयी रचनाकार बताया। डॉक्टर रामबदन राय ने कहा कि डॉ विवेकी राय भोजपुरी के देशज भाषाओं का जो प्रयोग करते थे उसे साहित्य में जान आ जाती थी।
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