कवि हौशिला प्रसाद अन्वेषी की सम सामयिक कविता
अपना कुशल बताओ प्यारे।
कविता नई सुनाओ प्यारे।।
वह जो गिरा हुआ है उसको।
दौड़ो और उठाओ प्यारे।।
जो सड़ांध है इस समाज में।
उसको दूर हटाओ प्यारे।।
देश हमारा कहाँ फँसा है।
इसका पता लगाओ प्यारे।।
इसी बात पर कलम चलाकर।
कविता नई बनाओ प्यारे।।
और इसी कविता को लेकर।
सोया देश जगाओ प्यारे।।
नैतिकता मानवता को ही।
तुम आधार बनाओ प्यारे।।
खुशहाली का दीप जलाकर।
नई रोशनी लाओ प्यारे।।
अंधेरे से करो लड़ाई।।
और वतन चमकाओ प्यारे।।
संयम पूर्वक बड़े प्रेम से।
शांति यहाँ फैलाओ प्यारे।।
अपनेपन का भाव जगाकर।
वतनपरस्ती गाओ प्यारे।।
अपना कुशल बताओ प्यारे।
कविता नई सुनाओ प्यारे ।।
अन्वेषी
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