मानव बनने के लिए मानवता जरुरी

मानवता के प्रचार-प्रसार और जनजागरण हेतु समर्पित श्री गंगा आश्रम बयेपुर देवकली द्वारा अतरौली गाँव में वार्षिक सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।

      सम्मेलन में परमहंस बाबा गंगाराम दास के विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता माधव कृष्ण ने कहा कि, जातिवाद साम्प्रदायिकता और मुकदमेबाजी से जल रहे समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि धर्म और जीवन अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि एक हैंl हनुमान जी द्वारा एक मणि को तोड़कर उसमें राम को खोजने की कथा के पीछे एक गूढ़ अर्थ छिपा हुआ हैl हमें अपने जीवन के प्रत्येक कर्म, वचन और विचार में डुबकी लगाकर देखना होगा कि उससे राम मिलेंगे या नहींl जब हमारे प्रत्येक कर्म का उद्देश्य सत्ता, धन, यश इत्यादि के स्थान पर राम हो जाएगा, तब हम समाज में लगी आग बुझाने में सहयोग कर सकेंगेl जीवन का प्रत्येक पल भजन हो जाने पर नौकरी करने वाला घूस के स्थान पर कर्त्तव्य पालन को पूजा मानेगा, बच्चे पालने वाली माँ इसे बोझ मानने के स्थान पर श्रीकृष्ण की पूजा मानेगी और पारिवारिक संरचना बिखरने से बची रहेगी, राजनीति करने वाला सत्ता के स्थान पर सत्य को प्रथमिकता देगा और गांधीवादी राजनीति के माध्यम से हाशिये पर खड़ा आदमी भी सुखी हो सकेगाl

इसलिए धर्म और जीवन को देखने और समझने का सही दृष्टिकोण विकसित करना होगाl श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिव्य दृष्टि देने के पीछे यही मंशा थीl संसार में व्याप्त दिव्यता को देखने और उससे जुड़ने के लिए स्वयं दिव्य होना होगाl संत रामानन्द की शिष्य परम्परा में प्रकट होकर समाज को सही दिशा दिखाने वाले बाबा गंगारामदास के विचार प्रत्येक जाति, धर्म, सम्प्रदाय, मनुष्य के लिए प्रासंगिक हैl अवधेश यादव ने कहा कि अभिमन्यु को चक्रव्यूह में घुसने का रास्ता पता था  लेकिन बाहर निकलने का नहींl वह मारा गयाl इसी प्रकार हम संसार में प्रवेश तो कर जाते हैं लेकिन सांसारिकता और प्रलोभनों से निकलने का मर्ग नहीं जानते और इसीलिये हम दुःख और कष्ट पाते हैंl एक गुरु के अनुशासन में रहकर हम इससे मुक्त हो सकते हैंl

      जमानिया से मानव धर्म प्रसार की टीम ने प्रकाशगीत प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लियाl “गावत जा हो बजावत जाl मानव धरम के जगावत जाl””जागो हे मितवा मत करो मनमानीl” श्री गंगा आश्रम के महंत भोला बाबा ने सभी ग्रामवासियों को आशीर्वचन दिया और सत्य-न्याय-धर्म को पकड़े रहने के लिए कहाl सभा के अंत में जातीय संकीर्णता से मुक्त होकर सभी ने एकसाथ पंक्तिबद्ध होकर भोजन ग्रहण किया कियाl

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