कविता की नयी रचना “करो वहीं मंदिर का निर्माण”

“करो वहीं मंदिर का निर्माण”

करो वहीं मंदिर का निर्माण जहां पर है बाबा का धाम।

करो वहीं शिव का जलाभिषेक कह रही गंगा की जल धार।।

लगा दो तुम अपनी जी जान तभी होगा मंदिर निर्माण।

कह रही गीता और पुराण मिलेगा तभी सबको निर्वाण।।

हटा दो तुम सारे अवरोध जो पैदा करते हैं गतिरोध।

हटेंगे जब सारे अवरोध खतम होंगे सारे प्रतिरोध।।

निगाहें तुम पर हैं सबकी करो न अब रत्ती भर देर।

दरश जब देंगे आशुतोष मिटेंगे मन के सब मतभेद।।

करो पहले नन्दी काम अधूरा रहे न काशी धाम।

जब पूरा हो जाएगा काज बिराजेंगे विश्वेश्वर नाथ।।

करेंगे शिव का नित अभिषेक यहीं से चलेंगे मथुरा धाम।

बिराजेंगे जब शिव जी निज धाम सफल होगा मथुरा का काम।।

करो तुम याद सभी बलिदान नहीं छोड़ेंगे अपने धाम।

सफल होंगे सारे अभियान बसे हैं मन में यदि भगवान।।

जब पूरण होंगे तीनों धाम मिलेगा मन को तभी संतोष।

गुंजाएंगे पूरा ब्रह्मांड करेंगे दिल से वो जयघोष।।

करो वहीं मंदिर का निर्माण जहां पर है बाबा का धाम।

करो वहीं शिव का जलाभिषेक कह रही गंगा की जल धार।।

कवि, अशोक राय वत्स ©®
रैनी मऊ उत्तरप्रदेश
8619668341

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