जीवन की विषाक्तता से मुक्ति का मार्ग है राम का स्मरण

गाजीपुर। चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी के नाम से जाना जाता है। यह दो कारणों से महत्वपूर्ण है। पी जी कालेज भुड़कुड़ा,गाजीपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सन्तोष कुमार मिश्र का कहना है कि पहला कारण यह है कि वसन्त सम्पात के बाद इसका आगमन होता है और सूर्य प्रखर होने लगता है,पुष्प आने लगते हैं,वनस्पतियां समृद्ध होने लगती हैं तथा इसी समय फसल भी पक कर तैयार हो जाती हैं। खेतिहर समाज के लिए यह एक बड़े उत्सव का समय होता है। इस काल अवधि में कृतज्ञता ज्ञापन के उद्देश्य से देवी की आराधना होती है। यह आराधना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल नवमीं तक होती है। वासन्तिक नवरात्र का दूसरा महत्व यह है कि चैत्र शुक्ल नवमीं को भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। लोक में यह अवधारणा है कि भगवान राम नवमीं तिथि को चैत्र मास में जन्म लेते हैं।यह अपने आप में बड़ी ही अद्भुत बात है कि उन्होंने जन्म लिया भी था और जन्म लेते भी हैं। वे एक ऐतिहासिक पुरुष थे साथ ही साथ जनमानस के बीच उनकी सनातन उपस्थिति भी है। इन दो कारणों से इस पर्व का विशेष महत्व है। राम एक मानवीय उदात्त शक्ति के अवतार हैं,मर्यादापुरुषोत्तम हैं ,इसलिए वासन्तिक नवरात्र का राम के जन्म से सम्बन्ध है तथा शारदीय नवरात्र का राम के विजयोत्सव से सम्बन्ध है। दोनों नवरात्रों में शक्ति की आराधना और राम का स्मरण साथ साथ चलता है तथा राम को अपने बीच पाने का अनुभव भी होता है। राम का अवतार आसुरी शक्तियों द्वारा पैदा किये गए असन्तुलन को दूर कर सन्तुलन स्थापित करने के लिए तथा आसुरी शक्तियों के उन्मूलन के लिए हुआ। राम के जन्म का एक और प्रयोजन भी है। जो लोग बहुत ही उपेक्षित हैं राम ने उनके अंदर विश्वास भरने का काम अपने निर्वासन की अवधि में किया। केवट, शबरी, जटायु, हनुमान, सुग्रीव जैसे वननर को पूरे देश के सामान्य जन से जोड़ना एक बहुत बड़ा काम था। ये सभी पात्र राम के लिए दया या अनुकम्पा के योग्य नहीं वरन प्रेमास्पद,स्नेहास्पद हैं। राम सबके साथ समानता का व्यवहार करते हैं। राम का पूरा जीवन सच्चाई के पीछे चलने का,अत्यंत शीलवान होने का और सहज होने का है। सहजता अत्यंत महत्वपूर्ण गुण है। राम कर्तव्य पालन के सन्दर्भ में कठोर हैं लेकिन जहां स्नेह देना है वहां कोमल हैं। जहाँ उन्हें समस्त समाज की चिंता होती है, वहां वे कठोर हो जाते हैं,अकेले हो जाते हैं। राम का अकेलापन भी बहुत सहज लगता है। सहज व्यक्ति के प्रति,कर्तव्यशील व्यक्ति के प्रति,सत्यनिष्ठ व्यक्ति के प्रतिआकर्षण होता है।राम में ये तीनों गुण हैं।एक पराक्रमी व्यक्ति में भी आकर्षण होता है। पराक्रम,शील,सौंदर्य,सहजता,मधुरता तथा कर्तव्य के प्रति कभी भी शिथिलता नहीं, इन सबका संगम राम के व्यक्तित्व में दिखाई देता है।राम के साथ जुड़कर कठिन से कठिन यात्रा सरल हो जाती है।राम का हमारे जीवन में सदा सर्वदा विशेष महत्व बना रहेगा। हम राम को सामने रखकर ,राम के पीछे चलकर जनसामान्य के साथ आत्मीयता का भाव पैदा कर सकते हैं तथा जीवन की विषाक्तता से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।

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