महाप्रसाद के साथ सम्पन्न हुआ आध्यात्मिक महोत्सव,उपमुख्यमंत्री के न आने से नाराज दिखे लोग

गाजीपुर। सिद्धपीठ हथियाराम मठ में विजय दशमी पर परम्परानुसार ध्वज, शिव, शक्ति, शस्त्र, शास्त्र व शमी वृक्ष का पूजन पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यतिजी महाराज ने अन्य लोगों के साथ किया। पीठाधीश्वर ने बुढ़िया माई को भोग लगा हलवा-पूरी का महाप्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया।
     विजयादशमी के दिन सिद्धपीठ हथियाराम मठ में कार्यक्रम की अधिकारिक सूचना के बावजूद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम के ऐन वक्त पर स्थगित होने से सिद्ध पीठ से जूड़े लोगों में काफी नाराजगी दिखीं।
   पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति जी महाराज भी इससे नाराज रहे। उन्होंने कहा कि सीएम और पीएम आते जाते रहते हैं। यह सब कुछ जनता के संज्ञान में रहना चाहिए। जनता भलीभांति यह जानती है कि भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने सिद्धपीठ के लिए क्या-क्या किया और क्या नहीं किया। इसको आप डायरी में नोट करके रखियेगा। इसका परिणाम कुछ दिनों में आपको देखने को मिलेगा।
     सिद्धपीठ के कार्यक्रम को अपमानित करने का प्रतिफल अवश्य मिलेगा। उपमुख्यमंत्री के न आने से मठ से जुड़े शिष्य श्रद्धालु भी आहत दिखे। भाजपा कार्यकर्ता भी उपमुख्यमंत्री के न आने पर देरशाम तक कोसते नजर आये। अन्य जनपदों से आये भाजपाई भी मायूस होकर वापस लौटे और सरकारी व्यवस्थाएं भी वापस चली गयी। 
       .बताते चलें कि साढ़े सात सौ वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ की आराध्य भगवती बुढ़िया माई (वृद्धाम्बिका देवी) के दरबार में नवरात्र पर्यन्त चले यज्ञ-जप व धार्मिक अनुष्ठान पूर्णाहुति के साथ ही दशहरा के दिन सदियों से चली आ रही परम्परानुसार सिद्धपीठ के 26वें पीठाधिपति महामण्डलेश्वर भवानीनंदन यति ने वैदिक ब्राह्मणों के साथ प्रातः काल से ही हरिहरात्मक पूजन, शस्त्र पूजन, शास्त्र पूजन व ध्वज पूजन के बाद शक्ति पूजन की प्रतीक व सिद्धपीठ की अराध्या भगवती बुढ़िया माई को परम्परागत पवित्र हलुआ पूड़ी का भोग लगाया। इसके बाद अपार श्रद्धालुओं के समूह के साथ सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचकर भगवान सिद्धेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक द्वारा शिवपूजन, पवित्र शमी वृक्ष की पूजा की गयी। संत सभा में स्वामी भवानीनन्दन यति ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि अति प्राचीन सिद्ध संतों की तपस्थली सिद्धपीठ अध्यात्म जगत में तपोभूमि के रूप में विख्यात है। अमृतमयी बुढ़िया माई की कृपा व सिद्ध संतों के तप से आज यहां की माटी भी अमृत के समान हो गयी है। यहां के सिद्ध संतों के ज्ञानरूपी प्रकाश से समूचा अध्यात्म जगत आलोकित है। मैं स्वयं इस पीठ के माटी की सेवा का अवसर प्राप्त कर अपने को सौभाग्यशाली समझता हूं। उन्होंने लोगों से अपने अंदर छिपी बुराइयों का परित्याग कर सत्य आचरण करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सिद्धपीठ हथियाराम मठ सनातन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात हो चुकी है।उन्होंने कहा कि यहां की मिट्टी चंदन से भी पवित्र है। इस शारदीय नवरात्र के महा पूजन का समापन विजयादशमी के माध्यम से हो रहा है। जहां पर ध्वज शिक्षा शस्त्र शास्त्र शिव पूजन, शमी पूजन, गीता, गुरु का पूजन किया जाता है। जहां भगवत की चर्चा होती है वही राम भवन, कनक भवन, अयोध्या है। यहां सैकड़ों वर्ष से राम की चर्चा होती चली आ रही है। भारत के पूर्वज ऐसे नाम रखते थे जो भगवान के नाम पर जाने जाते थे। सिद्धपीठ के गुरुजनों ने भाषण की ही नही बल्कि राशन की भी व्यवस्था की।उन्होंने राष्ट्र भारत को जोड़ने का काम किये। कहा माला जपने से भजन नहीं होता जो भजन  गौ सेवा से हो, साफ सफाई, मंदिर बनवाना भी भजन है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा कर्म करते रहो, अगरबत्ती धूप माला राम राम कहने से भजन नहीं है। विचार को अच्छा रखना ही भजन कहलाता है।
      विजयादशमी के दिन मठ पर बुढ़िया मां का चढ़ाया गया भोग प्रसाद हलवा पूरी पाने के लिए शिष्य़ो ने कतार बद्ध ढंग से महामंडलेश्वर महंत श्री भवानी नंदन यति महाराज के हाथों से प्रसाद लिया। इसे पाने के लिए क्षेत्र के ही नहीं अन्य प्रांतों के लोग भी सिद्धपीठ पर पहुंचे थे। इस मौके पर संत देवरहा बाबा, साध्वी निष्ठा, एसडीएम सूरज यादव, क्षेत्राधिकारी गौरव सिंह, आरएसएस के प्रांत प्रचारक रमेश जी, लोक सेवा आयोग के सदस्य रामजी मौर्य, जितेंद्र नारायण सिंह ‘वैभव’, जंगीपुर के सपा विधायक डा. वीरेन्द्र यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष भानू प्रताप सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वृजेन्द्र राय, पारसनाथ राय, रमेश, श्रीराम, आनन्द मिश्रा, संतोष यादव, हरेंद्र, डा. रत्नाकर त्रिपाठी, डा. अमिता दूबे, प्रभुनाथ दूबे, लौटू प्रसाद, अरविन्द गुप्ता, सुनील आदि रहे। महाविद्यालय की छात्राओं ने संस्कृत में स्वागत गान और श्रीराम पर आधारित काव्यपाठ किया।

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