कवयित्री रश्मि शाक्य की तीसरी पुस्तक ‘खड़े होते रहे शब्द’ का लोकार्पण सम्पन्न

गाजीपुर। आदर्श इंटर कॉलेज, महुआबाग़ ग़ाज़ीपुर के सभागार में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कवयित्री रश्मि शाक्य की तीसरी पुस्तक ‘खड़े होते रहे शब्द’ का मव्य लोकार्पण समारोह सम्पन्न हुआ।
   पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए कार्यक्रम की मुख्य वक्ता राजकीय महिला महाविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ संगीता मौर्य ने कहा कि इस काव्य संग्रह में भाषा है, शब्द है, भूख है, रोटी है और मातृभाषा है। इसके साथ ही ज़िम्मेदारियाँ और मौन भी है।  डॉ संगीता मौर्य के अनुसार रश्मि जी अपनी कविताओं में विद्रुपताओं से केवल संवाद ही नहीं बल्कि उससे मुठभेड़ भी करती हैं।
    बी.एच.यू. के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार मिश्र ने पुस्तक के बारे में कहा कि इस काव्य संग्रह में सामाजिक-सांस्कृतिक बंधनों की स्पष्ट पहचान है और इन बंधनों से मुक्ति की समझदारी भी। केवल स्त्री-जीवन ही नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक सरोकारों की झलक इन कविताओं में मौजूद हैं।
      डॉ पी.एन. सिंह के आलेख को व्यक्त करते हुए कन्हैया प्रजापति ने कहा कि श्रीमती शाक्य का कवि होना ही एक उपलब्धि है। कवि मन और उसकी सोच औरों की तुलना में भिन्न होती है।
     कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व अपर मण्डलायुक्त, वाराणसी ओम धीरज ने कहा कि रश्मि शाक्य निरन्तर विकासमान कवयित्री हैं। इनके तीसरे संग्रह की कविताएँ प्रकृति-संस्कृति और परम्परा से उपजी पोषित और आधुनिक विमर्श को स्पर्श करती अपने समय का सच उकेरती हैं। प्रेम के साथ प्रतिरोध की भी कविताएँ हैं, चिन्तन-मनन एवं वैचारिक उद्वेलन की कविताएँ हैं।
      सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज़ के निदेशक डॉ सानन्द सिंह ने कवयित्री को बधाई देते हुए कहा कि रश्मि शाक्य गाजीपुर जनपद की एक उभरती हुई साहित्य धर्मी हैं। रश्मि अपनी रचनाओं के माध्यम से ज्वलंत और सार्थक बातें करती हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी के प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा कि ग़ाज़ीपुर की धरती की बेटी न केवल पढ़-लिख रही है बल्कि पढ़ा भी रही हैं और कविताएँ भी लिख रही हैं। रश्मि शाक्य के इस संग्रह की कविताओं में ‘शब्द’ की शक्ति का आभास मिलता है। इनकी कविता में ‘मौन’ भी मुखर है। अपने देश और समाज की ज़मीनी सच्चाई से उत्पन्न भावनाओं का संबल है इनकी कविताओं में। ‘प्रेम’ सम्बन्धी कविताएँ इनकी कविताओं का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। अकेले पड़ते जाते समाज में प्रेम ही मनुष्यता का आधार बन सकता है, यह भाव इनकी कविताओं में अभिव्यक्त है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पी.जी. कॉलेज के प्राचार्य डॉ समर बहादुर सिंह ने कहा कि रश्मि शाक्य की कविताओं में बदलाव के संकेत हैं। उन्होंने कहा कि कविताएँ जब समय के साथ बढ़ती हैं, तो न जाने कितनी क्रांतियों का कारण बनती हैं। अन्त में उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप कहा कि जिस प्रकार रश्मि जी का तीसरा काव्य-संग्रह आया है, उसी प्रकार अनेक संग्रह आयें।
समारोह में पूर्व सांसद जगदीश कुशवाहा, पूर्व विधायक अमिताभ अनिल दुबे,डॉ जयशंकर कुशवाहा, आदर्श इंटर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पी.एन. सिंह,डॉ श्रीकांत पाण्डेय, डॉ संतन कुमार, डॉ व्यास मुनि राय, संजीव गुप्ता, रामनगीना कुशवाहा, निर्मला कश्यप, अनिल कुशवाहा, कवयित्री पूजा राय, युवा कवयित्री अनुश्री ‘श्री’, उरूज फातिमा, संयुक्त सशक्त युवा संगठन के शीर्षदीप तरुण उपेंद्र तरुण, सुरजीत तरुण,राहुल तरुण आदि उपस्थित रहे।धन्यवाद ज्ञापन गजाधर शर्मा ‘गंगेश’ ने किया।
     कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सम्पन्न कवि-गोष्ठी में रश्मि शाक्य, अनुश्री ‘श्री’, पूजा राय, कान्ति सिंह व उरूज फात्मा ने काव्य-पाठ किया।

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