साहित्यकारों की अपील – धैर्य के साथ करें महामारी का मुकाबला,

मुम्बई। साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था “काव्यसृजन” द्वारा आज की विषम परिस्थिति में कैसे रहा जाय और इस महामारी से कैसे बचा जाय के हालात” पर विशेष विचार गोष्ठी सम्पन्न हुई।
लोग व देश-समाज कैसे सुरक्षित रहे,इन्हीं विषयों पर विशेष विचार विमर्श हेतु गूगल मीट पर आन लाईन परिचर्चा आयोजित हुई।
डॉ श्रीहरि वाणी जी के मार्गदर्शन में शिक्षाविद हौंसिला प्रसाद अन्वेषी की अध्यक्षता में पं.शिवप्रकाश जौनपुरी जी ने परिचर्चा का कुशल संचालन किया|
इस परिचर्चा में कोरोना से जंग जीते बन्धुओं, भोपाल से मुकेश कबीर व मुम्बई से संस्था के कोषाध्यक्ष भाई बीरेन्द्र ने अपने कोरोना संक्रमित होने से लेकर निवृत्त होने तक के अनुभव साझा किये।
इसी क्रम में पिछले चार दिन पूर्व ही कानपुर में अपनी पत्नी की ऑक्सीजन ग्रहण क्षमता अत्यधिक कम हो जाने पर घर में ही स्टीम, होम्योपैथिक दवा, तुलसी अर्क, कपूर पोटली, पैरासीटामोल, काढ़ा आदि से बगैर डॉक्टरी सहायता के पत्नी को 80% ठीक करने का अपना व्यक्तिगत अनुभव श्रीहरि वाणी ने पटल पर साझा किया।
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से सुश्री रश्मिलता मिश्रा, यू पी के बाँदा से शिवपूजन बाबा पागल, कौशाम्बी से अवधेश विश्वकर्मा,नागपुर से मनिंदर सरकार ने भी अपने विचार साझा किये|
अरुण दीक्षित,सौरभ दत्ता “जयंत”,लालबहादुर यादव कमल,इंदू मिश्रा,नंदन मिश्र,पवन मिश्र,श्रीधर मिश्र डॉ श्रीहरि वाणी,हौंसिला प्रसाद अन्वेषी, रेखा तिवारी,पं.शिवप्रकाश जौनपुरी आनंद पाण्डेय केवल आदि लोगों ने अपने विचारों से लोगों को सजग रहने,सरकार द्वारा सुझाये नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया।
आत्मबल बनाये रहें, घबरायें नहीं ,बिना वजह इधर-उधर घूमें नहीं,जागरुक नागरिक बने, सारे कार्यों हेतु सरकार से ही अपेक्षा-शिकायत न करें,सरकार में दोष गिनाने से पहले अपने दोष सुधारें। कुछ अपनी भी जिम्मेदारी से करें,सर्दी जुकाम हो तो अस्पताल का चक्कर न लगायें दादीजी के घरेलू नुस्खे भी अपनायें, हर किसी को हॉस्पिटल की जरूरत नहीं होती, बहुत कुछ अपने घर पर ही घरेलू नुस्खों से सफल इलाज हो सकता हैं, अस्पताल तभी जायें जब विशेष जरूरत हो, विना वजह वहाँ भीड़ न लगायें, हॉस्पिटल गंभीर मरीजों के लिए हैं, अपने पारिवारिक अथवा विशेषज्ञ डॉक्टर से फोन पर भी परामर्श ले कर स्वयं भी चिकित्सा कर सकते हैं,आक्सीजन या ऐसी और जीवन रक्षक दवाएं अपने यहाँ स्टोर न करें, हो सकता हैं आपके स्टोर करने के कारण किसी वास्तविक जरूरत मंद के प्राण संकट में पड़ जाएँ। आपाधापी का महौल न बनायें,इससे आपका ही नुकसान होगा, जितना ही आप आपाधापी मचायेंगे, मुनाफाखोर बेईमान व्यापारी, डाक्टर, दलाल, प्राइवेट नर्सिंग होम वाले..सब मिलकर गिद्ध की तरह नोंच खायेंगे।
इससे बचने के लिए अपनी इम्यूनिटी बनाये रखें,उसके लिए भी लोगों ने विभिन्न तरह से उपचार बताये और काढ़ा बनाकर पीने की सलाह दी। तीन घंटे तक चले आयोजन में विद्वानों ने दिल खोलकर अपने विचार रखे, सभी के विचारों में प्रमुख एक बात निकली कि बेवजह घबराहट में हम स्वयं घबरा कर खुद को तथा अपने परिजन को अनजाने ही गंभीर अवस्था में पहुंचा देते हैं , वैसे भी खास तौर पर कोरोना का अभी तक किसी के पास कोई सटीक उपचार नहीं है, सभी लक्षणों के आधार पर उपचार करते हैं, उन्ही लक्षणो के आधार पर रोग की प्रारंभिक अवस्था में घर पर भी उपचार किया जाना सुरक्षित तथा लाभप्रद एवम कम खर्चीला हैं। यह तभी होगा ज़ब हम मानसिक रूप से मजबूत – सशक्त रहकर पूरी सावधानी से अपना और परिजनों का उपचार करें
इसके साथ ही विगत दिनों कोरोना व अन्य बिमारियों से हमारे देश व साहित्य क्षेत्र की कई नामी गिरामी हस्तियों के स्वर्गगमन करने पर, जिनमें प्रमुख रुप से काव्यसृजन के संस्थापक अध्यक्ष पं.शिवप्रकाश जौनपुरी के बड़े पिताजी पं.शोभनाथ पाण्डेय, हस्ताक्षरम् संस्था के मार्गदर्शक कवि-चिंतक डॉ सरस पाण्डेय,आदर्श रामलीला समिति सहिजद रामपुर के संस्थापक,साहित्यप्रेमी कवि राजेश मिश्र की अर्धांगिनी सौ.गीता मिश्रा, मशहूर गीतकार पं.किरण मिश्र व कई अन्य दिवंगत आत्माओं को दो मिनट का मौन रखकर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान कर अपनी शरण में लेने की ईश्वर से प्रार्थना की गई।
सभी विद्वानों ने काव्य सृजन द्वारा सामाजिक सरोकारों का दायित्व निभाते इस प्रकार की चर्चाओं द्वारा समाज जाग्रति – संरक्षण हेतु की जाने वाली पहल हेतु संस्था की सराहना करते इन मानवीय कार्यों हेतु यथाशक्ति अपना योगदान और सानिध्य बनाये रखने का आश्वासन दिया।
अंत में संस्था के उपाध्यक्ष श्रीधर मिश्र ने आयोजन को सफल बनाने के लिए उपस्थित विद्वानों – श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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