देश के गौरव चन्द्र शेखर आजाद को समर्पित कवि की रचना “वक्ष में जिसके थी ज्वाला”

“वक्ष में जिसके थी ज्वाला”

चन्द्रशेखर नाम जिसका सूर्य का जो तेज था,
वक्ष में जिसके थी ज्वाला और हवा का वेग था।
गुलामी उसने सही न आजाद हम को कर गया,
सींची धरा निज खून से माँ भारती का शेर था।

नाम था आजाद उसका संकल्प था फौलाद सा,
सिर पे बांधा था कफन आजादी का उन्माद था।
जिसकी चुनौती सुन के लंदन में सुनामी आ गई,
आजाद हो माँ भारती आजाद का पैगाम था।

निज खून से दीपक जला जिसने दिवाली थी मनाई,
गोरों का मुँह तोड़ कर जिसने थी आजादी दिलाई।
उसकी भुजाओं में कसक कुछ कर दिखाने की भरी थी,
कर धरा को मुक्त उसने ही तो थी होली मनाई।

बाँध कर सिर पर कफन अंग्रेजों को ललकारा था,
पंडित कुल मे जन्म लिया दिल शेर का उसने पाया था।
गर्जन सुन जिसकी गोरों के घर गर्भपात हो जाते थे,
उस शेखर की क्या बात करुँ आजादी का परवाना था।

रचनाकार – अशोक राय वत्स
रैनी, मऊ, उत्तरप्रदेश
8619668341

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