सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित, 146060 परीक्षार्थी रहे उत्तीर्ण

प्रयागराज,12 मई 2020। न्यायालयी विवादों के चलते प्राथमिक विद्यालयों हेत प्रदेश के 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का लटका हुआ परिणाम अन्ततः उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने आज घोषित कर दिया गया। परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज उत्तर प्रदेश के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने परीक्षा समिति की बैठकोपरान्त दोपहर बाद अधिकारिक रूप से परिणाम घोषित किया । आज घोषित इस परिणाम मके अनुसार इस परीक्षा में 14,6060 परीक्षार्थियों ने सफलता पायी है।
उल्लेखनीय है कि 6 जनवरी 2019 को आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए 431466 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था, परन्तु परीक्षा में 409530 परीक्षार्थी ही सम्मिलित हुए थे। सम्मिलित हुए थे। परीक्षा की कट आफ मेरिट के विवाद के चलते यह परीक्षा न्यायालय में लटकी हुई थी। इस परीक्षा में सामान्य वर्ग के 36614, पिछड़ा वर्ग के 84868, एससी के 24308 और एसटी के 270 परीक्षार्थी सफल हुए हैं। इसमें डीएलएड के 38610, शिक्षामित्र 8018, बीएड 97368 व अन्य पाठ्यक्रमों के 2064 परीक्षार्थियों ने सफलता पायी है।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय प्रयागराज के अनुसार परीक्षा में सम्मिलित परीक्षार्थी अपना परिणाम कल वुधवार से विभाग की आधिकारिक वेबसाइट atrexam.upsdc.gov.in पर जाकर डाउनलोड कर सकेंगे । परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया- “सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सूची बेसिक शिक्षा परिषद को भेजी जायेगी। परिषद ही अभ्यर्थियों के शैक्षिक गुणांक, बीएड और बीटीसी के अंक और लिखित परीक्षा के अंकों के आधार पर वरीयता से अंतिम चयन सूची जारी करेगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले बुधवार को उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्ड पीठ ने बेंच ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती 60-65 प्रतिशत अंकों के आधार पर तीन महीने के अंदर करने का आदेश दिया था। आदेश के अनुसार, 150 अंकों की परीक्षा में, सफलता प्राप्त करने के लिए सामान्य वर्ग के परीक्षार्थियों को 65 फीसदी और आरक्षित वर्ग के परीक्षार्थियों के लिए 60 फीसदी अंक लाने होंगे।
बताते चलें कि उच्च न्यायालय के इस फैसले के विरुद्ध कल सोमवार को शिक्षा मित्र एसोसिएशन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने या उसे रद्द करने की मांग की गई। इससे पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल की जा चुकी थी।

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