कवि की रचना – प्रकृति और विज्ञान के….

प्रकृति और विज्ञान के
इस भीषण युद्ध में,
कराहती प्रकृति
जब दुखी होती है
वैज्ञानिक विजय से,
वह हार नहीं मानती ।
सिर्फ उठती है
और उठकर
दिखा देती है
विकराल रूप,
पटकनी देकर
विज्ञान को ।
साफ कर देती है
जमा कचरा
विज्ञान का ।
गर्दो गुबार साफ करते हुए
वह कर देती है लाचार
विज्ञान को,
देकर महारोग
कोरोना का ।
और चिल्ला उठती है
संतुलन
संतुलन
संतुलन
तीन बार ।।
अन्वेषी

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