महाशिवरात्रि ! शिव पार्वती का मिलन पर्व आज

वाराणसी(उत्तर प्रदेश),21 फरवरी 2020।देवाधिदेव महादेव का महापर्व महाशिवरात्रि प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ससमारोह मनायी जाती है। शिवपुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष की कन्या सती का विवाह भगवान शिवजी से साथ इसी दिन हुआ था।

प्रसिद्ध सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नंदन यति जी महाराज ने भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भगवान शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि महाशिवरात्रि कहलाती है। देवाधिदेव महादेव हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख शांति व अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने महाशिवरात्रि एवं महारुद्र की महिमा को बताते हुए कहा कि अपने जीवन में सुख-दुख, शांति एवं समृद्धिकी कामना करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को महाशिवरात्रि का व्रत एवं रात्रि में भगवान आशुतोष का चार पहर की विधिवत पूजा एवं रात्रि जागरण करना चाहिए।
इस वर्ष व्रत आज 21 फरवरी को रखा जाएगा जबकि व्रत का पारण 22 फरवरी, शनिवार को होगा। पौराणिक मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि के दिन निशा बेला में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरित हुए थे। जिसके फलस्वरूप महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 फरवरी, शुक्रवार को सायं 5 बजकर 22 मिनट से आरम्भ होगी जो कल 22 फरवरी, शनिवार की रात्रि 7 बजकर 03 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी तिथि (महानिशीथकाल) में मध्यरात्रि में भगवान शिवजी की पूजा विशेष फलदायी होती है।
देवाधिदेव महादेव की आराधना के लिए व्रती को चतुर्दशी तिथि के दिन व्रत रखकर महादेव का विधि विधान से पूजन-अर्चन करनी चाहिए।
भगवान शिवजी का दूध व जल से अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, चन्दन, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर ही पूजा करनी चाहिए। पूजन अर्चन के उपरांत तिल, बेलपत्र व खीर से हवन करना चाहिए।
मनोकामना की पूर्ति के लिए रात्रि के चारों प्रहर में विशेष पूजन का विधान है। इसके लिए प्रथम प्रहर में भगवान शिवजी का दूध से अभिषेक कर “ॐ हीं ईशान्य नमः” मन्त्र का जप करते हैं।
द्वितीय प्रहर में भगवान शिव जी का दही से अभिषेक कर “ॐ हीं अघोराय नमः” मन्त्र का जप करते हैं।
तृतीय प्रहर में भगवान शिवजी का शुद्ध देशी घी से अभिषेक कर “ॐ हीं वामदेवाय नमः” मन्त्र का जप करते हैं।
चतुर्थ प्रहर में भगवान शिव जी का शहद से अभिषेक कर “ॐ हीं सध्योजाताय नमः” मन्त्र का जाप करते हैं।
भगवान् शिवजी की महिमा में शिव-स्तुति, शिव-सहस्रनाम, शिव महिम्नस्तोत्र, शिव तांडव स्तोत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए तथा शिवजी के प्रिय पंचाक्षर मन्त्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का मानसिक जप करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार’ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नमः ॐ’मन्त्र के जप से सर्वविध कल्याण होता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर शिवजी की पूजा-अर्चना करके रात्रि जागरण करने पर ही व्रत पूर्ण फलदायी होता है।


महाशिवरात्रि पर जन्म राशि या नाम राशि के अनुसार पूजन की विधियां निम्न हैं—-

मेष राशि –भगवान शिव की पूजा गुलाल से करें। ‘ॐ ममलेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, तांबा, लाल फूल आदि का दान करें।
वृषभ राशि –शिवजी का अभिषेक दूध से करें। ‘ॐ नागेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा सफेद ফল, सफेद चंदन, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
मिथुन राशि – शिवजी का अभिषेक गन्ने के रस से करें। ‘ॐ भूतेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा मूंग,कस्तूरी, कांसा, हरा वस्त्र, पन्ना, सोना, मूंगा, घी का दान करें।
कर्क राशि –शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें। महादेव जी के द्वादश नाम का स्मरण करें तथा सफेद फूल, सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, चांदी, मोती, दही का दान करें।
सिंह राशि –शिवजी का अभिषेक शहद से करें।’ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का जप करें तथा लाल फूल, लाल वस्त्र, माणिक्य, केशर, तांबा, घी, गेहूँ, गुड़ आदि का दान करें।
कन्या राशि –शिवजी का अभिषेक गंगाजल या शुद्धजल से करें। श्री शिव चालीसा का पाठ करें तथा हरा फूल, कस्तूरी, कांसा, मूंग, हरा वस्त्र, घी, हरा फल का दान करें।
तुला राशि –शिवजी का अभिषेक दही से करें। श्रीशिवाष्टक का पाठ करें तथा सुगंध, सफेद चंदन, सफेद फूल, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
वृश्चिक राशि –शिवजी का अभिषेक दूध व घी से करें। ‘ॐ अंगारेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा गेहूँ, गुड़, तांबा, मूंगा, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मसूर का दान करें।
धनु राशि –शिवजी का अभिषेक दूध से करें। “ॐ रामेश्वराय नमः” मन्त्र का जप करें तथा पीला वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, पीला फल, फूल, सोना, देशी घी का दान करें।
मकर राशि –शिवजी का अभिषेक अनार के रस से करें। श्री शिव सहस्त्रनाम का पाठ करें तथा उड़द, काला तिल, तेल, काले वस्त्र, लोहा, कस्तूरी, कुलथी आदि का दान करें।
कुम्भ राशि –शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें।’ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का जप करें तथा काले वस्त्र, काला तिल, उड़द, तिल का तेल, छाता आदि का दान द करें।
मीन राशि –शिवजी का अभिषेक ऋतुफल से करें। ‘ॐ भौमेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा चने की दाल, पीला वस्त्र, हल्दी, फल, पीला फल, सोना आदि का दान करें।


मान्यता है कि काशी शहर के विभिन्न स्थानों पर द्वादश ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं—–
सोमनाथ (मानमन्दिर), मल्लिकार्जुन (सिगरा), महाकालेश्वर (दारानगर), केदारनाथ (केदारघाटी), भीमाशंकर (नेपाली खपड़ा), विश्वेश्वर (विश्वनाथ गली), त्र्यंबकेश्वर (हौजकटोरा, बाँसफाटक), वैद्यनाथ (वैजनाथ), नागेश्वर (पठानी टोला), रामेश्वरम् (राम कुंड), घुश्मेश्वर (कमच्छा) तथा ओंकारेश्वर (छित्तनपुरा) में स्थित हैं।


Visits: 35

Leave a Reply