राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट ! 15 सदस्यों के नाम

अयोध्या (उत्तर प्रदेश),05 फरवरी 2020। आज संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर ट्रस्ट बनाने की जानकारी दी। बाद में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे जिसमें एक दलित समाज का सदस्य होगा। इसके चार घंटे बाद ट्रस्ट से जुड़े 15 सदस्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी है।
सरकार ने ट्रस्ट में प्रयागराज के ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज को तथा निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास को भी स्थान दिया गया है, लेकिन ट्रस्ट की मीटिंग में महंत दिनेंद्र दास को वोट देने का अधिकार नहीं होगा।

ट्रस्ट में शामिल शक्सियतों में,
* माननीय के. परासरण – ये उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट हैं। ये अयोध्या मामले में नौ सालों तक हिंदू पक्ष की पैरवी की थी। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकार में अटॉर्नी जनरल रहे। पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके हैं।

*जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराज (प्रयागराज)-यह बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य हैं। हालांकि, इनके शंकराचार्य बनाए जाने पर विवाद भी रह चुका है। ज्योतिष मठ की शंकराचार्य की पदवी को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने हाईकोर्ट में केस दाखिल किया था।

*जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज- यह कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं। इन्होंने दिसंबर 2019 में पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ के निधन के बाद पदवी संभाली।

*युगपुरुष परमानंद जी महाराज- यह अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख हैं। वेदांत पर इनकी 150 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था।

*स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज- इनका महाराष्ट्र के अहमद नगर में 1950 में जन्म हुआ। यह रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों का देश-विदेश में प्रवचन करते हैं। स्वामी गोविंद देव महाराष्ट्र के विख्यात आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं।

*विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा- यह अयोध्या राजपरिवार के वंशज हैं। रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी के रूप में कार्य करते हैं। 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार मिली। इसके बाद इन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया।

*डॉ. अनिल मिश्र, होम्योपैथिक डॉक्टर- यह मूलरूप से अंबेडकरनगर निवासी हैं जो अयोध्या के प्रसिद्ध होम्योपैथी डॉक्टर हैं। वे होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार हैं। मिश्रा ने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्तमान में संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं।

*श्री कामेश्वर चौपाल, पटना (एससी सदस्य)- संघ ने कामेश्वर को पहले कारसेवक का दर्जा दिया है। उन्होंने 1989 में राम मंदिर में शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्हें दलित होने के नाते यह मौका दिया गया है। 1991 में इन्होंने रामविलास पासवान के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था।

*महंत दिनेंद्र दास- यह अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के अयोध्या बैठक के प्रमुख हैं। ट्रस्ट की बैठकों में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा।

ट्रस्ट में केंद्र सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि भी होगा, जो हिंदू धर्म का होगा और केंद्र सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा। यह व्यक्ति भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद के समकक्ष होगा। यह एक पदेन सदस्य भी होगा।

राज्य सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि, जो हिंदू धर्म का होगा और उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा। यह व्यक्ति राज्य सरकार के सचिव के पद से नीचे नहीं होगा। साथ ही यह एक पदेन सदस्य भी होगा।

अयोध्या जिले के कलेक्टर पदेन ट्रस्टी होंगे। वे हिंदू धर्म को मानने वाले होंगे। अगर किसी कारण से मौजूदा कलेक्टर हिंदू धर्म के नहीं हैं, तो अयोध्या के एडिशनल कलेक्टर (हिंदू धर्म) पदेन सदस्य होंगे। राम मंदिर विकास और प्रशासन से जुड़े मामलों के चेयरमैन की नियुक्ति ट्रस्टियों का बोर्ड करेगा। उनका हिंदू होना अनिवार्य है।

ये हैं नियम: जो ट्रस्टी हैं उनकी ओर से (सीरियल नंबर दो से आठ तक के) 15 दिन में सहमति मिल जानी चाहिए। ट्रस्टी नंबर एक इस दौरान ट्रस्ट स्थापित कर अपनी सहमति दे चुका होगा। उसे सीरियल नंबर दो से सीरियल नंबर आठ तक के सदस्यों की तरफ से ट्रस्ट बनने के 15 दिन के अंदर सहमति ले लेनी होगी।

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