साहित्य चेतना समाज ! प्रगति के पथ पर 

आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश),12 मार्च 2019। साहित्यिक समाज में चेतना जागृत करने हेतु गाजीपुर की ऐतिहासिक धरती से 29 अक्टूबर 1985 को अमरनाथ तिवारी’अमर’ने जिस ‘साहित्य चेतना समाज’का बीजारोपण किया था, आज वह वट वृक्ष बनकर समाज को नयी दिशा देने की ओर अग्रसर है। सामाजिक जागरण का जो दीप अमरनाथ तिवारी जी ने जलाया था ,आज उसका प्रकाश चहुंओर फैल रहा है। विद्वानों, मनिषियों, साहित्यिकारों की धरती आजमगढ़ में भी कल ‘साहित्य चेतना समाज’ की आजमगढ़ इकाई के गठन किया गया। ‘साहित्य चेतना समाज’की मऊ, बलिया, जौनपुर, संत रविदास नगर(भदोही),चन्दौली, सोनभद्र, वाराणसी के बाद आजमगढ़ में भी एक मजबूत शाखा का आरम्भ होना निःसंदेह संस्था की प्रगति का द्योतक है।समारोह के मुख्य अतिथि पूरे विश्व में भ्रमण कर भगवद्गीता के संदेश के प्रचार-प्रसार में संलग्न, इंटरनेशनल गीता गुरुकुल फाउण्डेशन मिशीगन के संस्थापक गीता मर्मज्ञ आचार्य गोपाल जी शास्त्री (योगी आनन्द जी)रहे और अध्यक्षता पूर्वांचल पी.जी.कालेज के संस्थापक व पूर्वांचल विश्वविद्यालय,जौनपुर के कला संकाय के डीन डाॅ.मातबर मिश्र जी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में रेल मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य, वरिष्ठ साहित्यकार व ख्यातिलब्ध मंच संचालक हरिनारायण हरीश उपस्थित रहे।समारोह में ‘साहित्य चेतना समाज’ के संस्थापक अमरनाथ तिवारी को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया।कार्यक्रम में पूर्वांचल पी.जी.कालेज रानी की सराय में सुप्रतिष्ठित कवयित्री डाॅ.प्रतिभा सिंह प्रवक्ता बी.एड. व ख्यातिलब्ध गीतकार डाॅ.ईश्वर चन्द्र त्रिपाठी प्रवक्ता बी.एड. दुर्गा जी स्नातकोत्तर महाविद्यालय चण्डेश्वर को आजमगढ़ इकाई का संयोजक मनोनीत किया गया।इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी में डाॅ.ईश्वर चन्द्र त्रिपाठी, डाॅ.प्रतिभा सिंह, हरिनारायण सिंह हरीश, डाॅ.अक्षय पाण्डेय, कुमार प्रवीण, पंकज मिश्र वात्स्यायन, राजनाथ यादव,डाॅ.इन्दु श्रीवास्तव, आर.सी.चौहान, अमर नाथ तिवारी अमर, पंकज प्रखर ने काव्य-पाठ किया। आयोजन में गाजीपुर मुख्यालय से संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी,संयुक्त सचिव दिग्विजय उपाध्याय,महिला प्रकोष्ठ की श्रीमती संगीता तिवारी, श्रीमती रागिनी तिवारी, श्रीमती माया नायर, सुश्री उरूज फातिमा एवं मऊ इकाई के अध्यक्ष बालकृष्ण ठरड एवं विनोद श्रीवास्तव उपस्थित रहे । संचालन डाॅ.ईश्वर चन्द्र त्रिपाठी एवं हरिनारायण हरीश ने किया।

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