अभिनन्दन का अभिनन्दन
“अभिनन्दन है”
संकल्प लिया था वीरों ने,
हर हाल में बदला लेंगे हम।
मारेंगे घर में घुसकर उनको,
चाहे छुप जाएं मांद में वो।
इस प्रण को पूरा करने हेतु,
अभिनन्दन ने उड़ान भरी।
बीच समर में अरि दल में,
उसने है हाहाकार भरी।
कांपा है देखो अरि दल भी,
उसके मजबूत इरादे से।
मैं शीश नवाता हूं उसको,
हर पल उसका अभिनन्दन है।
है मान बढ़ाया सेना का,
भारत माता है धन्य हुई।
जिस माता ने है जन्म दिया,
है कोख भी उसकी धन्य हुई।
अभिनन्दन है अभिनन्दन का।
अभिनन्दन है अभिनन्दन का।।
रचनाकार – अशोक राय वत्स
रैनी – मऊ ( उत्तरप्रदेश)
मो.न. 8619668341
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