चोट दहशतगर्दों पर !”सौगन्ध तुम्हें है मिट्टी की”

“सौगन्ध तुम्हें है मिट्टी की”

मानवता रुपी गहने को, कुछ पल को हमें हटाना है,
इन दहशतगर्द दरिंदों को, उनकी भाषा में ही समझाना है।
अब चाहे जो मजबूरी हो, हमको यह प्रण लेना है,
कश्मीरी दहशतगर्दी को , अब जड़ से हमें मिटाना है।

सौगन्ध तुम्हें है मिट्टी की, अब मान तुम्हें ही रखना है,
पुलवामा वाली घटना से, चौकन्ना हर पल रहना है।
बदनाम किया घाटी को जिसने, अब उसको सबक सिखाना है,
पकिस्तानी दहशतगर्दों का ,हमें मिलकर मर्दन करना है।

आगे आओ संकल्प करो, बलिदानों को ना भूलेंगे,
जिसने है हमको दर्द दिया, जिन्दा ना उनको छोड़ेंगे।
पुलवामा को जिसने अंजाम दिया,उनको ना माफी देनी है,
घर में घुस कर गद्दारों के, चुन चुन कर हम तो मारेंगे।

हे हिन्द वासियों आगे आओ, आगे आकर यह मान रखो,
अग्नि चिता की बुझ पाए, उससे पहले तुम यह कार्य करो।
जिसने है तुमको दर्द दिया, सीने पर उसके चढ बैठो,
संध्या होने से पहले ही , इस पाकिस्तान का काम तमाम करो।।
कवि – अशोक राय वत्स
रैनी, मऊ (उत्तरप्रदेश)मो. 8619668341

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