विवेकानंद जयंती पर कवियों ने किया काव्यपाठ
गाजीपुर। स्वामी विवेकानन्द जयन्ती के अवसर पर साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में सरस काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई। स्वामी विवेकानन्द काॅलोनी, वंशीबाजार में वरिष्ठ ग़ज़ल-गो नागेश मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित कवि गोष्ठी से पहले स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन कर नमन किया गया। वक्ता-कवियों ने स्वामी विवेकानन्द जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
काव्यगोष्ठी का शुभारंभ डॉ.शशांक शेखर पाण्डेय की अतीव भावपूर्ण शिव-वंदना ‘शिव रूप को जिसने पाया उसका ही उद्धार हुआ’ से हुआ। काव्यपाठ के क्रम में डॉ.अक्षय पाण्डेय ने स्वामी विवेकानंद जी की पुनीत समृतियों को अपना मुक्तक “तनिक भी मन में न अब छलछन्द कोई चाहिए…. फिर विवेकानन्द कोई चाहिए” सुनाकर अपनी भावनाओं से अवगत कराया। कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने स्वामी जी पर केन्द्रित कविता “तुम राष्ट्र नायक, वेदों के ज्ञाता …परमहंस के परम शिष्य तुम, भारत वर्ष का सम्मान रहे” प्रस्तुत किया तो कवि हरिशंकर पाण्डेय ने अपनी पत्नी पर केन्द्रित कविता “इतने मीठे बोल सुनाती/ रूह मेरी हिल जाती है/फिर भी हूॅं मैं दिया उसी का/और मेरी वो बाती है” सुना कर ख़ूब प्रशंसा अर्जित की। साहित्य चेतना समाज के संस्थापक, वरिष्ठ व्यंग्य-कवि अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने “आगे बढ़ते उत्साही को/कब रोक सकीं दुर्गम राहें/ मंज़िल खुद उसे बुलाती है/फैला करके दोनों बाहें” सुनाकर ख़ूब वाहवाही अर्जित की। इसी क्रम में इं.संजीव गुप्त ने अपना गीत “हमदम मेरे हर दम तेरी राह निहारे ये नैना” प्रस्तुत किया तो ओज के कवि दिनेशचन्द्र शर्मा ने अपनी कविता “धर्म को चुनौती देना आसान नहीं/धर्म-कर्म के नाम पर लड़ाना खिलवाड़ नहीं…सबको मूर्ख बनाना आसान नहीं”सुनाकर तालियाॅं बटोरी। वरिष्ठ हास्य-व्यंग्यकार विजय कुमार मधुरेश ने “जान गये गर अपने को तुम नाम अमर कर जाओगे/ कुछ भी नहीं कर पाओगे यदि दुनिया से डर जाओगे/साॅंपों के मुखिया ने अपनी बस्ती में ऐलान किया/डॅंसना मत नेता को किसी तुम वरना ख़ुद मर जाओगे” सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी। युवा नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने अपना नवगीत ” ऑंखों ही ऑंखों में सब कुछ होता रहा फ़ना/घर का जैसा सपना था घर वैसा नहीं बना” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अध्यक्षीय वक्तव्योपरान्त नगर के ख्यात ग़ज़लगो नागेश कुमार मिश्र ने अपनी ग़ज़ल “ईमान ज़रूरत भर पाने नहीं दिया/बे-ईमानी सबकी औकात में नहीं” के अतिरिक्त अपने कई ख्यात शेरों को सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियाॅं अर्जित की। इसी क्रम में संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी की सांगीतिक अनुगीत की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से राजीव मिश्र, राघवेन्द्र ओझा, संगीता तिवारी,अंशुल त्रिपाठी,अंकुर आदि उपस्थित रहे। संस्था के उपाध्यक्ष इं.संजीव गुप्त ने सभी के प्रति आभार-ज्ञापिन किया। अन्त में प्रतिष्ठित समकालीन कवि बालेश्वर विक्रम के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त कर हुतात्मा की शान्ति के लिए परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना की गयी।
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