रुदन से व्यथित हो हृदय/इतनी करुणा कहां से लाऊं…….
कलम के आइने में – पुस्तक परिचर्चा
गाज़ीपुर। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर, नगर के स्वादम रेस्टोरेंट के सभागार में, बुधवार की शाम रिंपू सिंह की पहली पुस्तक “कलम के आइने में” पर विस्तृत परिचर्चा का आयोजन सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवयित्री रश्मि शाक्य ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए परिचर्चा की शुरुआत की । कवियत्री रिंपू सिंह ने अपने लेखन कला की शुरुआत से लेकर पुस्तक के आने तक की विभिन्न घटनाओं को साझा किया। उन्होंने बताया कि लेखन में रुचि के चलते उन्होंने स्नातकीय शिक्षा के दौरान ही लिखना शुरू कर दिया था, परन्तु बाद के बदलते वक्त में उनका लेखन अवरुद्ध हो गया। शिक्षिका बनने के बाद एक रोज किसी ने उन्हें डायरी और कलम भेंट कर उनकी लेखन को नयी गति प्रदान कर दी और उसकी परिणिति इस पुस्तक के रूप में सामने आई है। इस किताब की निमित्त बनी उनकी मित्र मुक्ति वर्मा का इसमें काफी योगदान रहा। अपनी कविताओं के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि उनका ज्यादातर लेखन स्त्री विमर्श पर रहा है। कार्यक्रम में उन्होंने अपनी किताब से कविता पाठ करते हुए पढ़ा – रुदन से व्यथित हो हृदय/इतनी करुणा कहां से लाऊं/ गरीब हूं साहेब/ आंसुओं की झड़ी कैसे लगाउं सुनाकर वाहवाही लूटी। कार्यक्रम में शामिल कवित्रियों ने इस पुस्तक के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। कार्यक्रम के दौरान रिंपू सिंह की पुस्तक से शालिनी सिंह, पूजा राय, शशिबाला सिंह व रश्मि शाक्य ने भी काव्य पाठ कर कार्यक्रम भव्यता प्रदान किया।
कार्यक्रम में शिप्रा श्रीवास्तव, रागिनी सिंह, रश्मि शाक्य, पूजा राय, शशिबाला सिंह, अकांक्षा पांडेय, शालिनी श्रीवास्तव सहित अन्य साहित्य प्रेमी जन मौजूद रहे।
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