‘चेतना सम्मान’ से नवाजे गए संगीतज्ञ डाॅ.विजय कपूर
डाॅ.विजय कपूर की स्वरलहरी पर झूमे श्रोता
गाजीपुर। श्री भगवद्गीता के संदेश के प्रचार-प्रसार में संलग्न गुरुकुल फाउण्डेशन मिशिगन,अमेरिका के संस्थापक योगी आनन्द जी के मुख्य आतिथ्य में, साहित्य चेतना समाज का 38वाँ स्थापना दिवस रविवार की शाम नगर के ‘कान्हा हवेली’ में ससमारोह सम्पन्न हुआ।
लखेश्वर ब्रह्म आयुर्वेद ट्रस्ट सोनहरिया के संस्थापक ज्ञान मूर्ति संत व विचारक युश जी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष डाॅ.रविनन्दन वर्मा व सचिव हीरा राम गुप्ता ने किया। समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन व सेन्ट जाॅन्स स्कूल की संगीत शिक्षिका माया नायर की सरस्वती वंदना से सम्पन्न हुआ।
समारोह में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के संगीत संकाय के डाॅ.विजय कपूर को संस्था द्वारा ‘चेतना सम्मान’ से सम्मानित किया गया। डाॅ.विजय कपूर एवं उनकी टीम ने सांगितिक प्रस्तुति कर उपस्थित जनसमुदाय को रससिक्त कर दिया। उनके सुर, लय व सिद्ध हस्त ताल पर लोग करतल ध्वनि करने को विवश हो गये। ओहकार्यक्रम में संस्था की मऊ इकाई ने संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर को अंगवस्त्रम् प्रदान कर सम्मानित किया।अध्यक्ष बालकृष्ण ठरड ने संस्था की 38वर्षों की यात्रा पर प्रकाश डाला।
अपने उद्बोधन में योगी आनन्द जी ने संस्था को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बिना किसी शासकीय वित्तीय सहायता के संस्था विगत 38 वर्षों से साहित्य,संस्कृति व समाज की सेवा का कार्य कर रही है,वह सराहनीय व अनुकरणीय है। युश जी महाराज ने संस्था की गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि स्थान-स्थान पर यदि ऐसी संस्थाएं सक्रिय हो जाएं तो समाज का काफी भला हो सकता है।
समारोह में प्रमुख रूप से अक्षय दूबे, डाॅ.सानन्द सिंह, डा.एम.डी.सिंह, दिलीप आर्य, राजू उपाध्याय, डाॅ.पारसनाथ सिंह,डाॅ.अक्षय पाण्डेय, संजीव सिंह, प्रो.अमरनाथ राय, अमिताभ अनिल दूबे, डाॅ.व्यासमुनि राय, विनोद उपाध्याय, राजेश्वर सिंह,हर्षित श्रीवास्तव, शशिकांत राय, किरनबाला राय, संगीता तिवारी, रागिनी त्रिपाठी, पुष्पा गुप्त्, दौलत गुप्ता, खालिद अमीर, बादशाह राही सहित काफी संख्या में गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने किया।
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