हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास के लिए भारतीय भाषाओं का समन्वय आवश्यक 

अंतरराष्ट्रीय काव्य संग्रह “वैश्विक हिंदी” के आवरण पृष्ठ का हुआ लोकार्पण


प्रयागराज। वैश्विक हिंदी महासभा एवं अखिल भारतीय हिंदी परिषद, भारत के संयुक्त तत्वावधान में वैकुंठधाम आश्रम, अलोपीबाग में वार्षिक अधिवेशन सम्पन्न हुआ।

       वैश्विक हिंदी महासभा के अंर्तराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ०विजयानन्द की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि की भूमिका का निर्वहन जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य महाराज तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय,वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रो० गिरीशचंद्र त्रिपाठी ने किया। विशिष्ठ अतिथि के रूप में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रो० हरिप्रसाद अधिकारी भी मौजूद रहे। जगदम्बा प्रसाद शुक्ल के संयोजन 

तथा डॉ०शम्भुनाथ त्रिपाठी अंशुल के संचालन

में आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से किया गया।

      कार्यक्रम में अतिथियों ने हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसे आत्मसात करने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं महासभा द्वारा शीघ्र प्रकाश्य अंतरराष्ट्रीय काव्य संग्रह “वैश्विक हिंदी” के आवरण पृष्ठ का लोकार्पण भी किया गया। 

           कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो० त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी को प्रतिष्ठित करने के लिए हमें संस्कृत भाषा को सुदृढ़ बनाने की दिशा में कार्य करना होगा। प्रमुख धार्मिक ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद करने की आवश्यकता है। 

     स्वामी श्रीधराचार्य जी ने अपने वक्तव्य में हिंदी को जनमानस की भाषा बनाने के लिए कार्य करने पर जोर दिया। अध्यक्ष डॉ० विजयानन्द ने कहा कि जब हिंदी राष्ट्रभाषा होगी तो संस्कृत सहित सारी भारतीय भाषाओं का आपसी समन्वय हो जाएगा और अनुवाद के माध्यम से सभी मजबूत होंगी। हमें अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति की जरूरत है।

      कार्यक्रम में प्रो०अधिकारी का कहना था कि हिंदी को हर स्थिति में भारत की राष्ट्रभाषा हो जाना चाहिए तभी अनिवार्य रूप से संस्कृत मजबूत होगी। 

        कार्यक्रम में सर्वश्री शंभुनाथ श्रीवास्तव, डॉ०वीरेंद्र कुमार तिवारी, कमला प्रसाद गिरि, इंदुप्रकाश मिश्र, गजेंद्र प्रताप सिंह, अभय नारायण तिवारी, राजेंद्र तिवारी दुकान जी, सच्चिदानंद तिवारी, अटल नारायण, डॉ०अजय मालवीय, दुर्गेश दुबे, राकेश मालवीय, गंगाप्रसाद त्रिपाठी, पुष्कर प्रधान,अतुल मिश्र, निखिलेश मालवीय,अभिषेक केसरवानी, अनिरुद्ध वर्मा सहित अन्य लब्धप्रतिष्ठित कवि- साहित्यकार उपस्थित रहे। आभार ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक जगदम्बा प्रसाद शुक्ल ने किया।

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