जगतजननी के पूजन अर्चन का महापर्व है शारदीय नवरात्रि 

गाजीपुर। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरम्भ होने वाला शारदीय नवरात्रि का महापर्व रविवार से आरम्भ हो गया। श्रद्धालुओं द्वारा मन्दिरों व घरों में कलश स्थापना कर जगतजननी मां जगदम्बा का पूजन अर्चन वैदिक विधि विधान से आरम्भ हुआ। मां कामच्छा धाम करहिया, मां कष्टहारिणी मन्दिर करीमुद्दीनपुर सहित सभी देवी मन्दिरों में भक्त श्रद्धालुओं के पूजन अर्चन का क्रम दिन भर चलता रहा।

     शास्त्रों में नवरात्रि के पवित्र दिनों में माता जगदम्बिका के नौ रुपों की आराधना का विधान है। नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी व नौवें दिन सिद्धिदात्री का पूजन अर्चन विधि विधान से किया जाता है। भक्तों द्वारा व्रत रखने अंग प्रत्यंगों की आंतरिक सफाई हो जाती है, क्योंकि इन नौ दिनों में सात्विक भोजन और सात्विक रहन-सहन के कारण चित्त शांत रहता है। शरीर के सभी अंगों को पवित्र और शुद्ध रखने से मन पवित्र व चित्त निर्मल होता है और छठी ज्ञानेन्द्री जागृत और सक्रिय होती है।

अध्यात्म जगत में तीर्थस्थल माने जाने वाले सिद्धपीठ हथियाराम मठ में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानी नन्दन यति जी महाराज के संरक्षकत्व में शारदीय नवरात्र महोत्सव आरम्भ हो गया है। नवरात्र महोत्सव का शुभारंभ प्रथम दिवस रविवार को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापित कर हवन पूजन से हुआ। नवरात्रि पर्यंत चलने वाले इस वृहद अनुष्ठान में पुण्य लाभ की कामना के साथ शिष्य श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। श्रद्धालुओं ने मां वृद्धम्बिका माता का पूजन करते हुए फूल-माला, प्रसाद अर्पित कर तथा महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानी नन्दन यति जी महाराज की चरणरज लेकर अपने को धन्य किया।

        उल्लेखनीय है कि करीब साढ़े सात सौ वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ स्थित मां सिद्धिदात्री और बुढ़िया माता के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए देश के कोने-कोने से शिष्य-श्रद्धालु पहुंचते हैं, जो श्रद्धा भाव से देवी माता और पीठाधिपति महामंडलेश्वर भवानीनन्दन यति के चरणों में श्रद्धानवत होते हैं।

        शिष्य श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन करते हुए स्वामी भवानी नन्दन यति जी महाराज ने देवी दुर्गा की आराधना को सर्वदा फलदायक बताते हुए जनता से पूजा-पाठ और संत समागम से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कर्म ही पूजा नहीं, पूजा ही कर्म है का मूलमंत्र जीवन में अपनाएं। यहां पहुंचने वाले भक्तों के लिए भंडारा की भी व्यवस्था की गई है, जिसमें महाप्रसाद ग्रहण कर श्रद्धालु जयकारा लगाते हुए अपने घरों को लौट रहे हैं। समूचे क्षेत्र का माहौल देवीमय बना हुआ है। मान्यता है कि सच्चे हृदय से यहां दर्शन पूजन करने मात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है।

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