8वाँ गोपालराम गहमरी साहित्यकार महोत्सव एवं सम्मान समारोह  23-25 दिसम्बर को 

गाजीपुर। देश के प्रसिद्ध गांव में आगामी 23-25 दिसम्बर को 8वाँ गोपालराम गहमरी साहित्यकार महोत्सव एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों के वरिष्ठ लेखक, साहित्यकार, पत्रकार व कवि भाग लेंगे। आयोजक अखंड गहमरी ने उक्त जानकारी दी है। उल्लेखनीय है कि पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित देश का प्रसिद्ध गांव गहमर गंगा के उद्गम स्थल गौमुख और सागर से संगम स्थल गंगासागर के ठीक मध्य में स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहीं महर्षि विश्ववामित्र ने राम लक्ष्मण को शिक्षा दिया था और यही से आगे जाकर राम ने बक्सर के पास राक्षसी ताड़का का वध किया जो स्थान आज भी मौजूद है। गहमर 15वीं शताब्दी में राजपूत राजा धाम देव राव द्वारा बसाया हुआ गाँव है। गहमर में वर्ष 1535 में राजपूत राजा धामदेव राव द्वारा स्थापित माँ कामाख्या का अति प्राचीन मंदिर है, जिसका नवनिर्माण 1980 के दशक में हुआ था। गहमर में वीर मैगर के रूप में ऐसे योद्वा ने जन्म लिया जिसने अंग्रेजों की कोठियाँ जला दी और अंग्रेजों को नदी में कूद भागने पर विवश किया। गहमर में 18वीं शताब्दी में गोपालराम गहमरी ने जन्म लिया जिन्होंने भारत में सर्वप्रथम जासूस उपन्यास हिन्दी में लिखा और जासूस नाम की पत्रिका का प्रकाशन 1920 के दशक में किया। इनके नाम पर गोपाल रामगहमरी सेवा संस्थान अपनी निजी भवन में स्थापित है, जिसके अध्यक्ष मृतुंजय सिंह हैं। गहमर में 18वीं शताब्दी में गोपालराम गहमरी ने जन्म लिया जिन्होंने भारत में सर्वप्रथम जासूस उपन्यास हिन्दी में लिखा और जासूस नाम की पत्रिका का प्रकाशन 1920 के दशक में किया। इनके नाम पर गोपाल रामगहमरी सेवा संस्थान अपनी निजी भवन में स्थापित है, जिसके अध्यक्ष मृतुंजय सिंह हैं। ब्रितानी राज के दौरान गहमर पहला ऐसा गाँव रहा जो अंग्रेजों के आँख की किरकिरी रहा। 1940 के दशक में यह गाँव 42 दिनों तक स्वतंत्र ग्राम पंचायत रहा। इसी दशक में यहाँ पुलिस स्टेशन और डाकघर जलाने की घटना से अंग्रेज इतने नाराज हुए कि गाँव को डायनामाइट से उड़ाने की तैयारी कर लिये। गहमर के गीतकार भोलानाथ गहमरी भोजपुरी भाषा के प्रसिद्व रचनाकार हुऐ और भोजपुरी के पितामह कहे गये। इनके साथ साथ कई हिन्दी साहित्य एवं पत्रकारिता के पुरोधा जन्म ले चुके हैं। आज भी यहाँ भोजपुरी गीतों के आन्नद गहमरी, फजीहत गहमरी, प्रदीप पुष्कल,मिथिलेश गहमरी जैसे साहित्यकार मौजूद हैं। गहमर के विश्वनाथ सिंह गहमरी स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे सांसद थे जो पूर्वांचल की गरीबी और हालत का वर्णन संसद में कर पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु को रोने पर विवश कर दिया था। वर्तमान में यह गांव 24 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहाँ कुल 15 वार्ड है (21 पट्टीयाँ हैं)। यहाँ की आबादी लगभग 90 हजार के आस पास है। यह गहमर गाँव की खासियत है कि गांव होते हुए भी यहां पुलिस स्टेशन, जल निगम की टंकी, 3 राष्ट्रीत बैंक एवं 3 एटीम, एक इन्टर कालेज, एक राजकीय बालिका इन्टर कालेज, दूरसंचार केन्द्र, दो महाविद्यालय, 11प्राइमरी तथा 2 उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं सभी मोबाइल कम्पनियों के टावर मौजूद हैं। भारतीय सेना एवं पुलिस सहित भारत की कोई ऐसी सुरक्षा एजेन्सी नहीं है जिसमें गहमर के नौजवान नहीं होगें। 1990 के दशक में यहाँ पंचायत भवन पर स्पेशल सेना भर्ती आती थी। आज भी यहाँ सैनिकों के लिए वाराणसी से चल कर कैन्टीन आती है, यहाँ पूर्व सैनिक़ो की संख्या 15 हजार से अधिक है यहाॅं भूतपूर्व सैनिक कार्यालय भी है। गहमर पहला ऐसा गाँव है जो 1980 के दशक में टाउन एरिया घोषित होने के बाद इसे तोड़ने की लम्बी लड़ाई लड़ा और ट्रेन रोको आन्दोलन में पुलिस प्रशासन के बंदूको के सामने घंटो गुरिल्ला युद्व किया। 2000 के दशक में और 2010 के दशक में भी पुलिस से विभिन्न मुद्दों पर गुरिल्ला युद्व एवं पुलिस स्टेशन जलाने की घटनाएं हो चुकी हैं। . गहमर में माॅं कामाख्या धाम पर चैतीय नवरात्रि में एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें प्रत्येक वर्ष यूपी, बिहार, झारंखड़, दिल्ली, बंगाल से लाखों श्रद्धालु दर्शन पूजन को आते हैं। राम नवमी के दिन यहाॅं राष्ट्रीय स्तर की घुड़दौड़ प्रतियोगिता आयोजित होती है। गहमर में नागा बाबा की मठिया नामक एक जगह है जिसकी स्थापना गहमर की स्थापना से पूर्व गुरूनानक देव जी ने किया था। साथ ही गहमर में एक पत्थर जो दो रंगो का हैं और उससे बने शिवलिंग विराजमान हैं।इसके साथ ही यहाँ बकस बाबा का पावन धाम हैं, जहाँ सर्प दंश का शिकार जीवित व्यक्ति बिना झाडं-फूँक के ठीक हो जाता है। गहमर में यातायात के तीन संसाधन जल मार्ग गंगा नदी, सड़क मार्ग गाजीपुर-यादवमोड़* (चैसा बिहार) एवं *रेल हाबड़ा- दिल्ली मुख्यमार्ग पर बक्सर एवं दिलदारनगर के बीच स्थित है। जहाँ हाबड़ा, दिल्ली, मुम्बई, जयपुर से आने वाली प्रमुख ट्रेने ठहरती हैं। यहां की बाजार व्यवस्था पूर्ण रूप से यहाँ के नागरिकों पर टिकी है, यहाँ दैनिक आवश्यकता की चीजो के साथभौतिक सुख साधन के सामान गाँव में ही उपलब्ध है। यहाँ का निकटवर्ती बाजार बक्सर बिहार 22 किमी, दिलदारनगर उत्तर प्रदेश 22 किमी, जिला मुख्यालय गाजीपुर 35किमी एवं मंडल वाराणसी 90 किलोमीटर दूर है। जमानियाॅं विधान सभा की पूर्व विधायक श्रीमती सुनिता सिंह गहमर की बहू हैं। गहमर को सैनिको एवं साहित्यकारो का संगम स्थल भी कहा जाता है। *जगतगुरू शंकराचार्य ने इसे कामाक्षी क्षेत्र की उपाधि वर्ष 2003 में कामाख्या धाम के मंहत स्व0 बचाऊ जी महाराज के समक्ष प्रदान किया था। इसी पवित्र व प्रसिद्ध गांव में आगामी 23-25 दिसम्बर को 8वाँ गोपालराम गहमरी साहित्यकार महोत्सव एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों के वरिष्ठ लेखक, साहित्यकार, पत्रकार व कवि भाग लेंगे।

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