कृषकों को मिला नि: शुल्क कृषि किट

गाजीपुर। अखिल भारतीय राई सरसों समन्वित अनुसंधान परियोजना और कृषि विज्ञान संकाय पीजी कालेज द्वारा 12 अक्टूबर को कृषि विज्ञान संकाय के सभी शिक्षकों की मौजूदी में प्राचार्य प्रोफे०(डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय और चीफ प्रॉक्टर डॉ० डी.के. सिंह की मौजूदगी में तिलहन उत्पादक किसानों को सरसों के उन्नतशील प्रजाति के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए गए।
आईसीएआर-निदेशालय की ओर से शोध के लिए (अंगीकृत गांवों) के सभी कृषकों को प्रशिक्षण और कृषि किट का वितरण प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय और कृषि विज्ञान संकाय के समस्त कृषि वैज्ञानिकों की उपस्थिति में सरसों के बीज के निशुल्क वितरण का कार्यक्रम तिलहनी किसानों की मौजूदगी में संपन्न हुआ । प्रोजेक्ट के समन्वयक डॉक्टर श्रवण कुमार शुक्ला ने विषय स्थापना के दौरान अपने उद्बोधन में बताया कि देश में तिलहनी फसलों की भारी किल्लत है ।जिसके कारण खाद्य तेलों का आयात बाहरी मुल्कों से करना पड़ता है। सरकार की मंशा है कि तिलहनी किसानों को अद्यतन तकनीक के साथ ही उन्नतशील प्रजाति के बीज उपलब्ध कराकर उन्हें बेहतर तरीके से तिलहनी फसलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे देश में खाद्य तेल की किल्लत को कम किया जा सके।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. शिव शंकर यादव ने अपने उद्बोधन में तिलहनी फसलों को लेकर किसानों को बेहतर उत्पादन के लिए जागरूक किया। उन्होंने बताया कि तिलहन के मामले में देश आत्मनिर्भर नहीं हुआ है।अभी भी भारी मात्रा में तिलहन का आयात किया जाता है। इस कमी को कम करने के लिए तिलहन की बोवाई पर बल दिया जा रहा है। आईसीएआर की ओर से किसानों को उन्नत प्रजाति के तिलहनी बीजों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बोवाई से पहले सीड का ट्रीटमेंट करना जरूरी है। ऐसा करने से फसल की कई रोगों से बचाव होता है।
प्राचार्य प्रोफे०(डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में कृषकों को तिलहनी फसलों के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि देश में तिलहन की बुवाई पर किसानों को बल देना चाहिए। शुद्ध तेल का उपयोग लगभग हर घर में तभी हो पाएगा जब हम खाद्य तेलों के मामले में भी आत्मनिर्भर हो पाएंगे। मिलावटी तेलों के इस्तेमाल से तमाम बीमारियां होती हैं। भारत कृषि प्रधान देश हमेशा से रहा है। ऐसे में हमारी अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी और जरूरी है कि हम खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर हो पाए और इसके लिए तिलहनी फसलों को आधुनिक विधि और उन्नतशील प्रजाति को अपनाकर किसान देश को तिलहनी फसलों के संबंध में भी अव्वल बना सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी तथा कृषि प्रसार विभाग, कृषि संकाय, पी जी कालेज गजीपुर के संयुक्त तत्ववधान मे गाजीपुर जनपद में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रारंभिक चरण में प्रदर्शन शिक्षा, शोध और प्रसार को बढ़ावा देने हेतु स्वीकृति प्रदान किया गया है। आज के आयोजन में प्रोफे० अवधेश कुमार सिंह, प्रोफे० एस.एन. सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ० सुधीर कुमार सिंह, डॉ० पी.के. सिंह, डॉक्टर यू.पी. पाण्डेय, डॉक्टर गोपाल सिंह यादव, डॉ० ए.के. पाण्डेय, डॉ० के.के. पटेल डॉ० अशोक कुमार , अमितेश सिंह, संजय कुमार आदि मौजूद रहे।

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