अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण से मिलती है सफलता

गाजीपुर। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में कार्यरत
लेफ्टिनेंट कर्नल राजीव राय ने नगर के अष्टभुजी कॉलोनी स्थित द प्रेसिदियम विद्यालय में छात्रों को सम्बोधित करते हुए सेना के विषय में जानकारी दी।
    उन्होंने कहा कि हम सभी को स्वप्न देखने का आदी होना चाहिए और अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु लगन से कार्य करना चाहिए। अपने भविष्य और वर्तमान के प्रति प्रत्येक विद्यार्थी को जागरूक रहना चाहिए।
     अपने सेना में जाने के सन्दर्भ में बताया कि
वह आई आई टी के माध्यम से वैज्ञानिक बनना चाहते थे और ए पी जे अब्दुल कलाम उनके आदर्श हैं। अपने लक्ष्य के प्रति वे छात्र जीवन में कड़ी मेहनत की और इस कारण एन डी ए की प्रवेश परीक्षा के लिए उन्हें अलग से विशेष तैयारी नहीं करनी पड़ी। उन्हें वैज्ञानिक न बन पाने का दुःख था लेकिन एक दिन नेपोलियन बोनापार्ट के बारे में उन्होंने पढ़ा और पाया कि खुद उसे भी अपने जीवन में समझौते करने पड़े थे। प्रत्येक विद्यार्थी को यह सोचना चाहिए कि आज हम जिस स्थिति में हैं, कल उससे बेहतर कैसे हो सकते हैं. प्राप्त विवेक और संसाधन का सदुपयोग करने से ही जीवन में विकास होता है. उन्होंने बताया कि आज भी अपने व्यस्त समय में किताबें पढ़ना नहीं भूलते और पढने से उन्हें वैश्विक इतिहास और युद्ध नीतियों के विषय में पता चलता रहता है।
   इसी क्रम में उन्होंने बच्चों के कौतूहल को देखते हुए उनके प्रश्नों का जबाब बड़ी बेबाकी से दिया। छोटे छोटे विद्यार्थियों ने उनसे रोचक प्रश्न किये, जैसे – क्या सेना के लोग सांप केंचुआ खाते हैं और कीचड का पानी पीते हैं, आर्मी को आर्मी क्यों कहा जाता है; एन डी ए के लिए कैसे पढ़ा जाय सभी प्रश्नों का जबाब लेफ्टिनेंट कर्नल ने मुस्कराकर धैर्य के साथ दिया। उन्होंने कहा कि कभी कभी हमें १० दिन के बजाय २० दिन तक मैदान में डटे रहना पड़ता है, ऐसी स्थिति में १0 दिन के राशन ख़त्म होने के बाद हम लोगों को जीवित रहने के लिए प्रकृति से प्राप्त चीजों के सहारे ज़िंदा रहना पड़ता है, परन्तु यह कभी कभी ही होता है, हमेशा नहीं। आर्मी शब्द पर उन्होंने कहा कि ग्रीक शब्द ऐमस से आया है और अंग्रेजी में आर्मी बन गया। विद्यालय परिवार के ओर से निदेशक माधव कृष्ण ने उनका परिचय कराया और प्रधानाध्यापक अंशु गुप्ता और अध्यापिकाओं की तरफ से श्रीमती अमृता सिंह ने उन्हें जगन्नाथ-बलभद्र-सुभद्रा की मूर्ति, विद्यालय का मेमेंटो, श्रीरामचरित मानस और डायरी देकर सम्मानित किया।

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