क्रियान्वयन पर निर्भर है नीतियों की सफलता- प्रो दीक्षित

गाजीपुर। स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में स्वामी सहजानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संगोष्ठी भवन में “भारतीय शिक्षा में नई शिक्षा नीति का महत्व” विषयक गोष्ठी सम्पन्न हुई।
   गोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. मनोज दीक्षित पूर्व कुलपति डॉ राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय फैजाबाद ने कहा कि कोई भी नीति तभी सफल होती है, जब वह उचित ढंग से क्रियान्वित होती है। प्रो. दीक्षित ने 1986 के शिक्षा व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा कि इसके शुद्धीकरण के लिए ही नई शिक्षा व्यवस्था का मसौदा तैयार किया गया। नई शिक्षा नीति 190 वर्षों में बर्बाद हुई शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का एक सकारात्मक प्रयास है।
      विशिष्ट अतिथि प्रो. अमरनाथ राय ने कहा कि बाजारीकरण से प्रभावित शिक्षा व्यवस्था भारतीय समाज के एक बड़े वर्ग को वंचित कर देगा जो कल्याणकारी राष्ट्र की अवधारणा के विपरीत है। उन्होंने कहा कि समाज में साधन संपन्न और विभिन्न तबके के बीच खाई बढ़ी है, नई शिक्षा नीति इस खाई को भरने की दिशा में कोई रास्ता नहीं दिखाती। आइक्यूएसी के कन्वीनर डॉ बिलोक सिंह ने आइक्यूएसी द्वारा नई शिक्षा नीति से संबंधित विभिन्न आयोजनों पर प्रकाश डालते हुए पाठ्यक्रम निर्धारण में महाविद्यालय की भूमिका को रेखांकित किया। डॉ अभय कुमार मालवीय ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को शिक्षकों के हितों के प्रतिकूल बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षक शिक्षार्थी तथा आमजन के समुच्चय को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
सभा की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के  प्राचार्य प्रो. डॉ. वी के राय ने कहा कि शिक्षा सामाजिक क्रांति का एक सशक्त हथियार है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की जल्दबाजी पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसकी विसंगतियों की तरफ ध्यान आकृष्ट किया तथा शिक्षा के लिए जीडीपी का 10 प्रतिशत व्यय किये जाने की आवश्यकता बताई।
सेमिनार में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक,  शोध छात्र तथा विभिन्न अन्य महाविद्यालयों के शिक्षक और छात्र भी सम्मिलित रहे जिसमें डॉ. राम नगीना सिंह यादव, प्रो. अवधेश राय, डॉ गायत्री सिंह,डॉ कृष्णानन्द चतुर्वेदी, रामधारी राम, राकेश पांडेय, राजेश गुप्ता, डॉ नरनारायण राय, डॉ नितिन राय, सने सिंह,  डॉ रविशंकर सिंह, डॉक्टर प्रतिमा सिंह,  डॉ   सतीश राय, निवेदिता सिंह, विभा राय, डॉ देव प्रकाश राय, डॉ प्रमोद श्रीवास्तव, डॉ अवधेश पांडेय, संजय राय, डॉ श्याम नारायण राय, डॉ वी के ओझा आदि प्रमुख रहे। गोष्ठी का सफल संचालन प्रो. अजय राय ने किया।

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