योगी के साख पर बट्टा और बुलडोजर पर प्रश्न चिन्ह

(आचार्य श्रीकांत शास्त्री)

जिस प्रकार से यूपी का चुनाव 2017 को भाजपा ने मोदी के ईमानदार छवि एवं उनके सूझ-बुझ व कार्य करने की इच्छा शक्ति, भ्रष्टाचार विरोधी एवं माफिया विरोधी वाले चेहरे के बल पर भारी जीत दर्ज कर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनायी थी। योगी उसी सिद्धांत एवं नीति के तहत कार्य करना प्रारंभ भी कर दिए, पहले उन्होंने हर विभागों में वर्षों से जमे गुरु घंटालो को मलाईदार जगह से हटाकर चारा वाले स्थान पर बैठाया, उसके बाद उनके द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम कसना शुरू किया गया,  लेकिन वे मलाई खाने वाले, गुरु घंटाल योगी की योजना में छेद कर, इन्हीं के लोगों को मिलाकर और इन्हीं के शह पर यहां भी पहुँचकर चारा भी सफाचट करने लगे। योगी को इसकी जानकारी हुई या नहीं हुई, तब तक योगी ने दूसरा अभियान गुंडों, लफंगों, माफियाओं के विरुद्ध शुरू कर दिया और इनके ऊपर कानूनी चाबुक चलाकर इनको जेल की सलाखों के पीछे भेजते हुए इनके अवैध संपत्तियों का लेखा जोखा करवाने लगे, जिसका लाभ सीधा भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में हुआ और योगी जी अपने मिशन को लेकर आगे बढ़ते गये, लेकिन वे उपरोक्त गुरुघंटाल पीछे से मिल-मिलाकर चूहे की तरह उनके पारदर्शी योजनाओं को कुतरते गये।
    आलम यह हुआ कि उनके निर्देशों के क्रम में लिपा पोती करते हुये, योजनाबद्ध तरीके से चोरों की जांच डकैतों के द्वारा होने लगा, जिनको परोक्ष अपरोक्ष माफियाओं के अवैध संपत्तियों की निगरानी एवं जांच की जिम्मेदारी दी गई, वे जिलों में परोक्ष रूप से चिन्हित माफियाओं के सम्बन्ध में रिपोर्ट भेजी और उनके विरुद्ध कार्यवाही की गयी जो जग जाहिर है, इन्हीं जांच अधिकारियों ने अपरोक्ष रूप से नामित माफियाओं से साठगांठ करके इनके नामों को दबा दिया, जिसकी वजह से योगी के साख में बट्टा और बुलडोजर पर प्रश्न चिन्ह लगा, इसकी वजह से योगी सरकार सहित पूरी भाजपा को वर्तमान चुनाव में खासी-मशक्कत करनी पड रही है एवं उन्हें सफाई देनी पड़ रही, साथ ही नुकसान भी उठाना पड रहा है।
    योगी के भ्रष्टाचार एवं माफिया विरोधी योजना को यदि सही से संपादित करते हुए कार्य किया गया होता और वास्तविक रुप से उन सभी परोक्ष अपरोक्ष माफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही हुई होती तो ना तो योगी की साख पर बट्टा लगता है और ना ही उनके बुलडोजर पर प्रश्न चिन्ह लगता, और ना ही वर्तमान चुनाव में भाजपा को इतनी मेहनत करनी पड़ती।
     इतना ही नहीं तनखइयां लोग मोदी योगी द्वारा चलाई गई योजना को इस कदर दीमक की भांति चाटे कि जिसका आलम यह दिखाई पड रहा है कि वे अपने भ्रष्टाचारी नीति से उन लोगों को लाभ दिए जो लोग आज योगी को वोट देने से कतरा रहे हैं। इन भ्रष्ट तंत्र के लोगों द्वारा इतना ही नहीं किया गया बल्कि नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए अपने निजी हित को साधते हुए जिस परिवार को आवास की आवश्यकता नहीं उस परिवार के सारे सदस्यों के नाम आवास दिया गया, जिस परिवार को राशन की आवश्यकता नहीं है उस परिवार के सभी सदस्यों के नाम से कार्ड बनवा कर राशन दिलवाया जा रहा है, जिनको पेंशन की जरूरत नहीं है उनको पेंशन दिलवाया जा रहा हैं, और जिस परिवार को इस सब की आवश्यकता है वह परिवार आज भी दर दर की ठोकर खाकर भटक रहा है क्योंकि ये लोग उन भ्रष्टाचारी के सिस्टम में नहीं बैठ पा रहे हैं। जिसकी वजह से भी सरकार के साख पर बट्टा और बुलडोजर पर प्रश्न चिन्ह लगता दिखाई पड़ रहा।
   भ्रष्टाचार का आलम यह है कि एक गांव का राजस्वकर्मी, सेक्रेटरी, सिपाही, दरोगा, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभाग का बाबू शहरों में दो-तीन आलीशान कोठियां बनवा रखी है, गांव का हाल ही मत पूछो जिसका जिक्र प्रधानमंत्री भी अपने भाषण में कर चुके हैं। इतना ही नहीं मोदी योगी के जीरो टॉलरेंस की नीति को धता बताते हुए योगी के नाक के नीचे जिस प्रकार से लखनऊ प्राधिकरण के कर्मचारियों, अधिकारियों द्वारा गलत ढंग से अखिलेश के बंगले का नक्शा पास कर दिया गया, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया है, इसी प्रकार से गांव में शहरों में ऐसे ऐसे लेखपाल हैं जिसके लिए नियम कानून कुछ बना ही नहीं है उन्होंने बिना रजिस्ट्री, बिना बैनामा अन्य लोगों की जमीने अपने एवं अपने परिवारजनों के नाम दर्ज करवा लिये है साथ ही सरकारी जमीनों पर कब्जा करवाकर स्कूल के नाम दर्ज करवाकर बिल्डिंग बनवा कर, बेसिक माध्यमिक शिक्षा विभागों से मान्यता लेकर कमाई का जरिया बना लिया गये है एवं अपना स्टेटस सिंबल स्थापित कर लिया गया है। शिक्षा विभाग मान्यता देते वक्त यह जांच करता है कि इस स्कूल विद्यालय कॉलेज के नाम से रजिस्ट्री सुधा जमीन है कि नहीं लेकिन यहां यह भी बताते चलें की सरकारी जमीन को विद्यालय के नाम करा लिया गया है जिस पर मान्यता दे दिया गया इसी सब कामों से योगी के साख पर बट्टा एवं बुलडोजर पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। इस बीभत्सवादी अव्यवस्था को  सुधार करने के लिए, योगी को तत्काल जनता से वादा करना चाहिए। यदि पुनः उन्हें मौका मिले तो उन्हें उपरोक्त गुरु घंटालो के ऊपर विश्वास ना करते हुए पारदर्शी व्यवस्था के लिए हर जिलों में राष्ट्रवादी एवं भ्रष्टाचार विरोधी अफसरों, पत्रकारों, शिक्षकों, अधिवक्ताओं, डॉक्टरों, समाजसेवियों, राजनेताओं, व्यापारियों कि एक कोर कमेटी बनवाकर और उनके जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कार्य करते हैं तो ना तो उनके साख पर बट्टा लगेगा और ना ही लगेगा उनके बुलडोजर पर प्रश्नचिन्ह।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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