कवि अशोक राय वत्स की नयी रचना- “देव गण मिल करें आरती”

“देव गण मिल करें आरती”
ना कोई दिनकर ना कोई तुलसी ना कोई यहां निराला है,
जन्म लिया इस धरा पर जिसने वह व्यक्ति राम दुलारा है।
ना कोई शासक ना कोई शासित प्रभु राम की नगरी में,
जो भी अर्चक आए यहां वह व्यक्ति राम का प्यारा है।

पैसा,सत्ता न ताकत से कोई भक्ति प्रभु की पाता है,
जो रखता उर में ध्यान प्रभु का भव सागर तर जाता है।
राजा हो या रंक सभी को मिलता है सम भाव यहां,
भक्ति हो जिसमें हनुमत सी वही दरश राम का पाता है।

सरयू तट पर धाम प्रभु का छटा स्वर्ग से प्यारी है,
राम धुनी जो सुने यहां की व्यक्ति बड़ा बड़भागी है।
हनुमान गढ़ी में बैठके हनुमत जपते हरि का नाम,
सकल विश्व की रक्षा करने बैठे अवध बिहारी हैं।

साधु संत और संन्यासी सब शोभा हैं इस नगरी की,
करते भक्ति राम लला और सेवा जनक दुलारी की।
सकल विश्व में कोई नहीं मर्यादा रक्षक राम सा,
देव गण मिल करें आरती मेरे अवध बिहारी की।

कवि – अशोक राय वत्स ©® स्वरचित
रैनी,मऊ,उत्तरप्रदेश, 8619668341

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