बॉयोटेक-किसान परियोजना हेतु फॉर्ड फाउंडेशन की टीम ने गांवों का किया निरीक्षण

गाजीपुर। केन्द्र सरकार के जैव प्रोद्योगिकी विभाग की ओर से वित्तपोषित एवं फॉर्ड फाउंडेशन व आईसीएआर-आईआईवीआर द्वारा संचालित बॉयोटेक-किसान परियोजना के लिए चयनित चार जिलों में से एक गाजीपुर के बरहट, जोगा मुसाहिब, सबीतापुर, करीमुद्दीनपुर गांवों का चयन किया गया है। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान एवं शक्षिा विभाग के पूर्व सचिव, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक, काशी हिंदू वश्विवद्यिालय के पूर्व कुलपति एवं फॉर्ड फाउंडेशन अध्यक्ष प्रो. पंजाब सिंह के नर्दिेश पर फाउंडेशन के सदस्यों ने शनिवार को जमीनी स्तर पर इन क्षेत्रों का निरीक्षण किया।
सर्वेक्षण टीम ने सर्वप्रथम मनिहारी क्षेत्र के बरहट गांव का निरीक्षण किया। जहां उन्होंने किसानों से तकनीकी खेती करने और इसे अपनाने पर जोर दिया। फॉर्ड फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. पंजाब सिंह ने बरहट गांव में आयोजित किसान संगोष्ठी को ऑनलाइन सम्बोधित किया। कहा कि किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। बताया कि फाउंडेशन किसानों को नई तकनीक और बीज वितरित कर रहा है। उस बीज और तकनीक को और किसानों में वितरित करने की जरुरत है। किसानों को खेती के जरिये अधिक से अधिक रोजगार देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए तीन नए कानून भी लायी है, जो किसानों के लिए लाभदायक है। सरकार का प्रयास है कि इस कानून के जरिए किसानों को उनकी उपज का अच्छा लाभ मिल सके। प्रो. शिवराज सिंह ने एक महिला किसान द्वारा जानवरों द्वारा फसलों को बर्बाद किये जाने के बाबत कहा कि आज किसानों के लिए यह एक बहुत बड़ी समस्या है। यह सरकार के संज्ञान में है। जल्द ही इसका हल निकाल लिया जायेगा। कहा कि आज किसानों में जागरूकता की काफी कमी है। किसान कैसे जागरूक हों, इसके लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है। ताकि वह नयी तकनीक और योजनाओं से परिचित हो सकें। बीएचयू कृषि वज्ञिान संस्थान के पूर्व डीन प्रो. आरएम सिंह ने कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य नई-नई तकनीक एवं प्रजातियां किसानों को उपलब्ध कराना है। ताकि अधिक से अधिक उत्पादन हो सके। भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह ने कहा कि आज गांवों में सबसे बड़ी समस्या पोषण एवं किसानों के उत्पादों का सही कीमत का न मिलना है। इसकी मुख्य वजह खाद्य पदार्थों का एक नश्चिति मात्रा में उपयोग नहीं करना व बाजार का न मिलना। इसी समस्या का समाधान करने के लिए फाउंडेशन एवं सरकार प्रयासरत है। काशी हिंदू वश्विवद्यिालय के वरष्ठि वैज्ञानिक एवं बॉयोटेक किसान परियोजना के सह अन्वेषक डॉ. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि सभी आकांक्षी जिलों में वैज्ञानिक जाकर किसानों को जागरूक करते हैं। ताकि उन्हें नयी तकनीक एवं उन्नतशील विचारों के जरिए उनकी लागत का अच्छा मूल्य मिल सके। उन्होंने कृषक उत्पादक संगठनों (एफ़पीओ) द्वारा किसानों का क्लस्टर बनाकर कृषि उत्पाद के नर्यिात को बढ़ावा देने की बात कही। फॉर्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ. उमेश सिंह ने कहा कि बॉयोटेक किसान परियोजना के तहत चयनित चारों जनपदों में किसानों को फेलोशिप का प्रावधान है। इसमें चयनित प्रत्येक जनपद में प्रगतिशील किसानों को विशेषकर महिला किसानों को फेलोशिप प्रदान की जाएगी। इसके अंतर्गत उनको 10 हज़ार रुपये अवार्ड स्वरूप दिया जाएगा। सर्वेक्षण टीम में टीम में शामिल कृषि वज्ञिान संस्थान, बीएचयू कृषि वज्ञिान संस्थान के पूर्व डीन प्रो. आरएम सिंह, बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रो. शिवराज सिंह, भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह, काशी हिंदू वश्विवद्यिालय के वरष्ठि वैज्ञानिक एवं परियोजना के सह अन्वेषक डॉ. संतोष कुमार सिंह, फॉर्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ. उमेश सिंह, काशी हिंदू वश्विवद्यिालय के जनसम्पर्क अधिकारी प्रो राजेश सिंह, राजेश्वरी रिसर्च फाउंडेशन के सचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह सहित अन्य लोगों ने शामिल रहे। इस दौरान एफपीओ रतनदेव, उपेंद्रनाथ सिंह, भानु प्रताप सिंह, रवप्रिताप सिंह, शिवांश, डॉ. रामकुमार राय, तुषार कान्त के अलावा सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित रहे।

Visits: 25

Leave a Reply