मातृ मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिए एमडीएसआर की होगी नियुक्ति

गाजीपुर। मातृ मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिए सूबे में मातृ मृत्यु सर्विलांस एवं रिस्पांस (एमडीएसआर) कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। सितंबर 2020 में राज्य स्तरीय कार्यरत समूह (वर्किंग ग्रुप) टीम द्वारा इस कार्यक्रम की समीक्षा की गई। प्रदेश स्तर पर हुई इस समीक्षा के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने सूबे के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को वर्किंग ग्रुप की अनुशंसा का अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जनपद में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) स्तर के अधिकारी को एमडीएसआर का नोडल अधिकारी (डि‌स्ट्रिक्ट नोडल अधिकारी, डीएनओ) नियुक्त किया जाए। डीएनओ जनपद में हर माह होने वाली मातृ मृत्यु की लाइन लिस्टिंग एवं उनमें से किसी एक की विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। जनपद में जो भी मातृ मृत्य होगी, चाहे वह निजी अस्पताल, सरकारी अस्पताल, अस्पताल जाते समय या फिर घर पर हुई हों, एमडीएसआर के प्रपत्र-5 में मौखिक शव परीक्षण भरा जाएगा। हर तीन माह में जिलाधिकारी एमडीएसआर की समीक्षा करेंगे और कम से कम दो केस स्टडी डीएनओ की ओर से प्रस्तुत की जाएंगी। जनपद में हुई मातृ मृत्यु की सूचनाओं का डाटा एचएमआईएस एवं यूपीएचएमआईएस पोर्टल पर त्रुटि रहित अंकित करने के लिए डीएनओ जिम्मेदार होंगे।
एसीएमओ-नोडल एनएचएम डॉ के के वर्मा ने बताया कि वर्किंग ग्रुप की अनुशंसाओं में उच्च जोखिम गर्भावस्था (हाई रिस्क प्रेगनेंसी) वाली महिलाओं को सीधे फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) लेकर जाने की बात कही गई है। इसके साथ ही एफआरयू स्तर पर ब्लड स्टोरेज यूनिट (बीएसयू) का सुदृढ़ीकरण करने की बात भी कही गई है ताकि प्रसूता को जरूरत पड़ने पर तत्काल रक्त चढ़ाया जा सके और ब्लड ट्रांसफ्यूजन पूरी तरह नि:शुल्क हो और बदले में रक्तदान का इंतजार न किया जाए। पंजीकृत गर्भवती यानी मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन (एमसीपी) कार्ड धारक गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सीधे निकटतम सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) पर ही ले जाया जाए। इस व्यवस्था के प्रति एंबुलेंस कार्यकर्ताओं, गर्भवती के परिजनों और आशा कार्यकर्ताओं का संवेदीकरण किया जाए।
डॉ वर्मा ने बताया कि गर्भवती को गर्भावस्था के तीसरे माह में अपना पंजीकरण कराना होता है इसके लिए वह अपने नजदीकी अस्पताल या आंगनबाड़ी केंद्र में जा सकती हैं। स्वास्थ्य विभाग ने आशा और एएनएम को पंजीकरण की जिम्मेदारी दी है। पंजीकरण कराने के बाद गर्भवती को एमसीपी कार्ड जारी किया जाता है जिन महिलाओं का हीमोग्लोबिन कम होता है उन्हें हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) अर्थात उच्च जोखिम गर्भावस्था मानते हुए एमसीपी कार्ड पर एचआरपी की मुहर लगा दी जाती है ताकि प्रसव के समय कार्ड देखते ही यह समझा जा सके कि गर्भवती को सीधे एफआरयू लेकर जाना है।
प्रसूताओं को परिवार नियोजन के साधन देकर किया जाएगा डिस्चार्ज :
मिशन निदेशक द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भेजे गए पत्र में यह भी निर्देश दिया गया है कि प्रसव के बाद प्रसूता की परिवार नियोजन के लिए काउंसलिंग के साथ परिवार नियोजन के विभिन्न उपायों जैसे पीपीआईयूसीडी, छाया गोली आदि देकर ही डिस्चार्ज करें। इसके अलावा ग्रामीण स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर और एएनसी के समय ही प्रसवोपरांत परिवार नियोजन अपनाने के लिए काउंसलिंग की जाए।

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