कविता ! सिर्फ राम

सिर्फ राम

सच्ची राह दिखाओ राम।
मानवता फैलाओ राम ।।
सिकुड़ रहा है विफल आदमी ।
उसको तुम समझाओ राम ।।

कैसे यहाँ कुटिया आई ।
उसकी तह में जाओ राम ।।
कलयुग खेल रहा है जमकर ।
अब तुम सतयुग लाओ राम ।।

हिंसाचार बढ़ा है देखो ।
उस पर रोक लगाओ राम ।।
राम भजन तो बहुत हो गया।
राम राज्य तुम लाओ राम ।।

नारा बनकर रह जाओगे ।
जागो और जगाओ राम ।।
घट घट व्यापी परम वीर हो।
अपना चक्र चलाओ राम ।।

मंदिर में तुम क्या बैठे हो।
जल्दी बाहर आओ राम ।।
रावण का करतब मत देखो।
जल्दी धनुष उठाओ राम ।।

बहुत बड़ा आदर्श तुम्हारा।
उसको यहाँ बुलाओ राम ।।
पूँजीपति अमेरिका हिंदू ।
यह परपंच हटाओ राम ।।

सारे भारत की रक्षा में ।
थोड़ी अक्ल लगाओ राम ।।
हरिश्चंद्र के वंशज हो तुम।
अब तो झूठ मिटाओ राम ।।

मानवता के रक्षक हो तुम।
नफरत दूर भगाओ राम ।।
सारी मुश्किल से लड़ जाओ।
राम राज्य अब लाओ तुम ।।

रघुवंशी हो अमर बहादुर ।
जलवा आज दिखाओ राम ।
तिलक मुंदरा झंझट छोड़ो।
सब में अलख जगाई राम ।।

हर उम्मीद पर खरा उतरकर।
अपना नाम कमाओ राम ।।
भारत माँ के श्री चरणों में।
आकर शीश झुकाओ राम ।।

आओ राम आओ राम ।
जल्दी से आ जाओ राम ।।
अब सहने का अंत हो गया ।
आकर देश बचाओ राम ।।

      हौसिला "अन्वेषी"

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