निधन ! नहीं रहे गाजीपुर निवासी भोजपुरी सिनेमा के म्यूजिक डायरेक्टर धनंजय मिश्रा

गाजीपुर,04 जून 2020।भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से साल 2020 में एक के बाद एक आ रही बुरी खबर ने भोजपुरी फिल्म जगत को झकझोर कर रख दिया है। जिसके चलते इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए भी वर्ष 2020 बुरा साबित होने लगा है। बॉलीवुड म्यूजिक डायरेक्टर वाजिद खान की मौत के बाद भोजपुरी सिनेमा के बड़े म्यूजिक डायरेक्टर धनंजय मिश्रा का मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में आज सुबह मौत हो गयी। धनंजय मिश्रा की मौत के संबंध में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बृहस्पतिवार की सुबह अचानक तबीयत बिगड़ गई। शुगर के मरीज रहे धनंजय मिश्रा के मुंह से अचानक खून आने लगा था जिसके बाद आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई । बताते चलें कि 45 साल पहले उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के बिरनो थाना क्षेत्र के पांडेयपुर (गोपालपुर) में पंडित रमाकांत मिश्रा के घर जन्मे धनंजय मिश्रा मृदुभाषी, व्यवहार कुशल एवं प्रखर बुद्धि के थे।बचपन से ही उनकी संगीत के प्रति काफी रूचि थी।उनको संगीत की पराकाष्ठा पर पहुंचाने का सबसे महत्वपूर्ण श्रेय उनके पिता को था ।विद्वान पंडित रमाकांत मिश्र स्वयं एक संगीत के शिक्षक है। पूर्वांचल के नामचीन विभिन्न विधाओं के गायकों ने धनंजय मिश्रा के संगीत का लोहा माना। पिता की दो संतानों में बड़े धनंजय मिश्रा इन दिनों मुम्बई के मीरा रोड में रहते थे और ओशिवारा में वे अपने संगीत की तैयारी किया करते थे वहीं उनकी तबीयत बिगड़ी थी. भोजपुरी सिनेमा के म्यूजिक डायरेक्टर धनंजय मिश्रा ने बॉलीवुड के लिए भी काम किया था। मनोज तिवारी को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने में धनंजय मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।धनंजय मिश्रा द्वारा संगीत कंपोज किया गया गाना “रिंकिया के पापा” की चर्चा आज भी लोगों की जुबान पर है।तृप्ति शाक्या द्वारा गाई गई चर्चित हिन्दी भक्ति गीत ‘कभी राम बन के कभी श्याम बन के चले आना की संगीत तो कालजयी संगीत बन गई है। भोजपुरी फिल्मी स्टार पवन सिंह के अधिकांश गीतों को धनंजय मिश्रा ने ही कंपोज किया था। भोजपुरी फिल्म जगत से जुड़े लोगों ने धनंजय मिश्रा की मौत पर जहां दुख व्यक्त किया है वही उनके गांव में मातम का माहौल है। भोजपुरी जगत के नवोदित कलाकारो के हौसलो की उड़ान भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के संगीत चमकता सितारा युवा म्यूजिक डायरेक्टर धनंजय मिश्रा सदा सदा के लिए हमसे दूर हो गए।
रिपोर्ट – गौरीशंकर पाण्डेय

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