मस्जिद से अब बगैर लाउडस्पीकर हो सकेगी अजान

प्रयागराज, 15 मई 2020। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज मस्जिद से अजान पर अपना प्रतिक्षित फैसला सुनाते हुए कहा कि अजान इस्लाम का धार्मिक भाग है और मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है। आज शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अजान इस्लाम का जरूरी हिस्सा हो सकता है लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता। न्यायालय ने माना कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है। किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान दूसरे लोगों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना है।
बताते चलें कि गाजीपुर के सांसद(बसपा) अफजाल अंसारी, पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और वरिष्ठ अधिवक्ता वसीम ए कादरी ने लाउडस्पीकर के जरिए मुअज्जिन द्वारा अजान पढ़ने की इजाजत मांगी थी।गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी ने अपनी याचिका में कहा था कि गाजीपुर के जिलाधिकारी ने मौखिक आदेश से मस्जिदों से अजान देने पर रोक लगा दी है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है। जबकि गाजीपुर में सभी लोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और अपने घरों में नमाज पढ़ रहे हैं। अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि लोगों को नमाज के वक्त की जानकारी देने के लिए अजान जरूरी है। इस मामले में 05 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा कि बेंच ने कहा कि मुअज्जिन बिना किसी लाउडस्पीकर या अन्य उपकरण के अपनी आवाज में मस्जिद से अजान पढ़ सकता है। कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए जारी राज्य सरकार के दिशानिर्देश के बहाने इस तरह से अजान पढ़ने को नहीं रोका जा सकता है। वहीं जिला प्रशासन किसी भी हालत में रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दे सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने अफजाल अंसारी व फर्रूखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कहा गया कि संविधान का अनुच्छेद 21 स्वस्थ जीवन का अधिकार देती है परन्तु वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी दूसरे को जबरन सुनाने का अधिकार नहीं देती है। उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को आदेशित किया कि वह सभी जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन करायें।

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