कविता ! “बदलकर सोच तो देखो”

“बदलकर सोच तो देखो”

न थोपो अपने सपनों को, ये बचपन रुठ जाएगा।
न रोको बन के बाधा तुम, दिल कोमल टूट जाएगा।।

उगे हैं पर अभी इसके, ये उड़ना सीख जाएगा।
करो एतबार तुम इसपे, हर बाजी जीत जाएगा।।

ये जीवन है बड़ा मुश्किल, बनाओ न इसे बाजी।
घुटन चहुं ओर पसरी है, हवा मिलती नहीं ताजी।।

न डालो जोर नम्बर पर, यह केवल भ्रम है जीवन का।
बने इन्सान वह अच्छा, रहे यही मंत्र जीवन का।।

शिक्षा दें उसे ऐसी, निराशा मन में न आए।
परीक्षा है नहीं अंतिम, बस इतना सा समझ जाए।।

जीने दें उसे खुलकर, वो सपने देखे अपने से।
सहायक बन सको यदि तुम, सिखा दो जीना अपने से।।

बदलकर सोच तो देखो, हर मंजिल को वो पाएगा।
भरोसा रखो क्षमता पर, वह जीत कर दिखाएगा।।

 कवि - अशोक राय वत्स

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