निर्भया कांड ! अक्षय की पुनर्विचार याचिका न्यायालय ने की खारिज

नयी दिल्ली, 18 दिसम्बर 2019। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चारों दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका आज खारिज कर दी।
उल्लेखनीय है कि निर्भया मामले में दोषियों के मृत्यु दण्ड की सजा बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले के खिलाफ दोषी अक्षय कुमार सिंह ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इस मामले में तीन अन्य मुजरिमों की पुनर्विचार याचिका न्यायालय द्वारा पहले ही खारिज की जा चुकी हैं।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने पुनर्विचार याचिका खारिज की। पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका किसी अपील पर बार-बार सुनवाई के लिए नहीं होती। न्यायालय ने कहा, ‘‘हमें 2017 में दिए गए मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं मिला।’’
पीठ द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने का फैसला सुनाते ही मुजरिम अक्षय के वकील ए. पी सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा। दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कानून में दया याचिका दायर करने के लिये एक सप्ताह के समय का प्रावधान है। पीठ ने कहा, ‘‘हम इस सबंध में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं। यदि कानून के अनुसार याचिकाकर्ता को कोई समय उपलब्ध है तो यह याचिकाकर्ता पर निर्भर है कि वह इस समय सीमा के भीतर दया याचिका दायर करने के अवसर का इस्तेमाल करे। इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘‘मानवता रोती’’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है।
मेहता ने कहा कि, ‘‘ कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे। ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए। ’’
वहीं निर्भया की मां ने दिल्ली के सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले के चार में से एक दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। बताते चलें कि दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने एक चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया का सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। इस घटना की निर्ममता के बारे में जिसने भी पढ़ा-सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए। इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था।
इस मामले के चार दोषी विनय शर्मा, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को मृत्युदंड सुनाया गया। एक अन्य दोषी राम सिंह ने 2015 में तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी और नाबालिग दोषी को सुधार गृह में तीन साल की सजा काटने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।

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