राष्ट्रीय विज्ञान दिवस – 28 फरवरी

नई दिल्ली, 28 फरवरी 2019। हमारी भारत भूमि आदिकाल से ही वैज्ञानिक सोच और अनुसंधान की जननी रही है। देश में आर्यभट्ट, चरक, सुश्रुत, चंद्रशेखर वेंकट रमन जैसे अनेकों वैज्ञानिकों ने जन्म लिया। अपनी सोच, अनुसंधान और उपलब्धियों से इन वैज्ञानिकों ने पूरे विश्व में देश का नाम रोशन किया।
आज के वैज्ञानिक युग में समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने तथा विज्ञान से होने वाले लाभों की जानकारी के उद्देश्य से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय व राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के तत्वावधान में “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” 1986 से प्रति वर्ष 28 फरवरी को मनाया जाता है।
वर्ष 2009 के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर, देश में आधुनिक विज्ञान के सार्वजनिकीकरण और नेतृत्व के लिये सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के भारतीय वैज्ञानिकों के बड़े प्रयासों और उपलब्धियों की पहचान के लिये विज्ञान संचार के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार के द्वारा पाँच भारतीय संस्थान को इण्डियन डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी ने पुरस्कृत किया। विज्ञान से इसके बड़े योगदान की पहचान के लिये वर्ष 2009 में विक्रम साराभाई समुदाय विज्ञान केन्द्र को सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया था।
बताते चलें कि 7 नवंबर 1888 को दक्षिण भारत के त्रिचुनापल्ली में तमिल व्राह्मण पिता चंद्रशेखर अय्यर व माता पार्वती के पुत्र के रुप में चंद्रशेखर वेंकट रमन ने जन्म लिया था। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में इण्डियन ऐसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में 1907 से 1933 तक सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने कार्य के दौरान 28 फरवरी 1928 में ‘रमन इफेक्ट’ के रूप में एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी,जो उनकी महान सफलता और खोज बन भारतीय इतिहास में प्राख्यात हुई। उस महान उपलब्धि (प्रकाश के विवर्तन का पता लगाने के लिए) के लिए सर सीवी रमन को वर्ष 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया,तो वहीं वर्ष 1954 में भारत का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न दिया गया। वर्ष 2013 से, अमेरिकन केमिकल समाज द्वारा अंतरराष्ट्रीय ऐतिहासिक केमिकल लैण्डमार्क के रुप में “रमन प्रभाव” को नामित किया गया है।
क्या है रमन इफेक्ट ?
जब एकल तरंग-दैर्ध्य प्रकाश (मोनोकोमेटिक) किरणें जब किसी पारदर्शक माध्यम- ठोस, द्रव या गैस में से गुजरती हैं, तब इसकी छितराई हुई किरणों का अध्ययन किया जाए तो उसमें मूल प्रकाश की किरणों के अलावा स्थिर अंतर पर बहुत कमजोर तीव्रता की किरणें भी उपस्थित होती हैं। इन किरणों को रमन-किरणें कहते हैं। ये किरणें माध्यम के कणों के कंपन एवं घूर्णन की वजह से मूल प्रकाश की किरणों में ऊर्जा में लाभ या हानि के होने से उत्पन्न होती हैं। रमन इफेक्ट रसायनों की आणविक संरचना के अध्ययन में एक प्रभावी साधन है। इसका वैज्ञानिक अनुसंधान की अन्य शाखाओं, जैसे औषधि विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, खगोल विज्ञान तथा दूरसंचार के क्षेत्र में भी बहुत महत्त्व है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य नये प्रयोगों के प्रति लोगों को जागरूक करना व विद्यार्थियों को विज्ञान के क्षेत्र में नये प्रयोगों के लिए प्रेरित करना है।

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