राष्ट्रीय शोक! सात दिनों का, कई राज्यों में कल रहेगा अवकाश

नई दिल्ली ,16 अगस्त 2018। करोडो़ देशवासियों के चहेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी नाजुक हालत के बीच संध्या पांच बजकर पांच मिनट पर एम्स के सघन चिकित्सा कक्ष में आखिरी सांस ली। एम्स से उनका पार्थिव शरीर लोगों के दर्शनार्थ उनके निवास कृष्ण मेनन मार्ग पर रखा गया है।कल प्रातः उनका शव भाजपा कार्यालय पर जनता के दर्शनार्थ रखा जायेगा और फिर वहीं से उनकी शवयात्रा निकलेगी। उनके निधन पर केन्द्र सरकार ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे। इसके अलावा भी विभिन्न राज्यों में स्थानीय सरकारों ने वाजपेयी के निधन पर अवकाश की घोषणा की है। दिल्‍ली में अटल बिहारी वाजपेयी के सम्‍मान में कल सभी दफ्तर, स्‍कूल और अन्‍य संस्‍थान बंद रहेंगे। वहीं पंजाब सरकार ने तीन दिन का शोक और कल सभी कार्यालय, बोर्ड, निगम और शैक्षिक संस्थान बंद रखने का निर्णय किया है। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखण्ड सरकार ने सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। यूपी, बिहार व एमपी में कल सार्वजनिक अवकाश रहेगा।

स्व. बाजपेयी का अंतिम संस्कार कल शाम को चार बजे राष्‍ट्रीय स्‍मृति स्‍थल पर किया जाएगा। वहीं 1.5 एकड़ जगह में विजय घाट पर वाजपेयी का स्मारक बनाया जाएगा।

स्व. बाजपेयी भले ही अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके आदर्श देशवासियों के प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। भारतीय राजनीतिक पटल पर यह नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। उन्होंने अपने लोगों के साथ ही साथ विरोधियों व विपक्षियों पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी और सभी राजनीतिक दल उनकी वाकपटुता व विद्वता के कायल रहे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से न केवल व्यापक स्वीकार्यता और सम्मान हासिल किया, बल्कि तमाम बाधाओं को दूर करते हुए 90 के दशक में भाजपा को स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी व्यापकता की मिशाल आज एम्स में देखने को मिली जहां सत्ता पक्ष के प्रमुख नेताओं, मन्त्रियों के साथ साथ विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की धी। पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नहरू ने कहा था कि आने वाले दिनों में यह व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बनेगा और आखिरकार वाजपेयी देश के 10 वें प्रधानमंत्री बने।प्रधानमंत्री के रुप में उन्होंने वर्ष 1996 में 16 मई से 1 जून तक, वर्ष 1998 से 19 मार्च से 26 अप्रैल 1999 तक, फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई से 2004 तक देश का नेतृत्व किया। वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संघ के पूर्णकालिक सदस्य के साथ ही जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे जिसकी नींव श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 में डाली थी। वाजपेयी 1957 में पहली बार बलरामपुर सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। इससे पूर्व वर्ष 1952 में वाजपेयी ने पहली बार लखनऊ लोकसभा सीट से लड़ा, पर सफलता नहीं मिली। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में वह 10 बार लोकसभा सदस्य चुने गए और दो बार राज्यसभा के सदस्य बने। उन्होंने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात से लोकसभा चुनाव लड़े। वे 1969 से लेकर 1972 तक पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। 1977 में वो मोरार जी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री भी बनाए गए थे। 2004 में आम चुनाव में बीजेपी की पराजय के बाद अपने गिरते स्वास्थ्य के कारण उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था।

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